
मायावती ने बिगाड़ा गठवंधन का खेल, बीजेपी में ख़ुशी विपक्षी हैरान!

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टीको टक्कर देने के मकसद से राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले संभावित महागठबंधन को बसपा सुप्रीमों मायावती ने बड़ा झटका दिया है. कांग्रेस के साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीट बंटवारे पर अपनी बात न माने जाने से नाराज़ मायावती ने मध्यप्रदेश में न सिर्फ अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया बल्कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विरोधी अजीत जोगी के साथ गठबंधन भी कर लिया.
मायावती के इस कदम से न सिर्फ विपक्षी एकता का दावा कमज़ोर हुआ है बल्कि कांग्रेस को भी चुनावी नुकसान होगा. एमपी में पिछले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने 4 सीटें जीती थीं लेकिन 7 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किया था. बीजेपी से वोट के अंतर को कांग्रेस मायावती और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे संगठन के साथ मिलकर भर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
मायावती 50 सीटें मांग रही थीं जबकि कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा 30 सीटें देने को तैयार थी. हालांकि दबी जुबान में कांग्रेस विधानसभा की कुल 230 सीटों का 10 फीसदी यानी 23 पर ही बीएसपी का दावा मानती है. कांग्रेस से बात नहीं बन पाने के बाद माया ने 22 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. हालांकि, माया की घोषणा के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर बसपा से बातचीत शुरू कर दी है.
छत्तीसगढ़ में 2013 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने एक सीट जीती थी और दो पर दूसरे नंबर पर थी. पार्टी ने 4 फीसदी से ज़्यादा वोट हासिल किया था. इस बार मायावती ने प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 20 पर दावा ठोका था लेकिन बाद में वो 9 सीट पर अड़ गईं. कांग्रेस इतनी सीटें देने को भी तैयार नहीं हुई लिहाज़ा बात नहीं बनी. माया के पुराने सहयोगी रहे नौकरशाह पीएल पुनिया का माया से 36 का आंकड़ा भी गठबंधन की राह में एक रोड़ा साबित हुआ. पीएल पुनिया छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी हैं. इस गठबंधन की बिगड़ने से बीजेपी खेमा में उत्साह नजर आ रहा है वहीँ विपक्षी एकता चुनाव से पहले ही तार तार होती नजर आ रही है.
रमन सिंह पिछले विधानसभा चुनाव 1 से 2 फीसदी के अंतर से ही कांग्रेस से जीतते रहे हैं. ऐसे में माया का 4 फीसदी वोट बैंक कांग्रेस से जुड़ जाता तो रमन सिंह के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती लेकिन अब उनको थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी. छत्तीसगढ़ में माया 35 और अजित जोगी 55 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन रमन सिंह के सामने चुनौती बनी हुई है. इस बार उनका असर भी राज्य में कम नजर आ रहां तो वहीं डीजल पेट्रोल के दामों में भारी बढ़ोत्तरी भी नुकसानदायक साबित होगा.