छत्तीसगढ़

किसानों की जान है न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून (MSP), इसमें देरी से मतलब किसान की जान से खिलवाड़ : डॉ राजाराम त्रिपाठी

Shiv Kumar Mishra
25 Oct 2022 9:21 AM GMT
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छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले किसान, कृषि की वर्तमान दशा और सभी कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून की आवश्यकता क्यों विषय पर 21 अक्टूबर,शुक्रवार को कृषि उपज मंडी प्रांगण महासमुंद में किसान महाबइठका का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष व डौंडीलोहारा के पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर ने की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता "अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)" के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी थे। स्वागत वक्तव्य छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही व संचालन जिला पंचायत सदस्य महासमुंद जागेश्वर जुगनु चन्द्राकर ने किया। तेराम भेजो ही नहीं तेजराम विद्रोही ने सभा को बताया कि यह डॉक्टर राजारामजी त्रिपाठी ही थे जिन्होंने तीनों कृषि कानूनों की खामियों के बारे में देश में सर्वप्रथम ना केवल देश को बताया बल्कि देश की सभी किसान नेताओं को भी समझाया जोकि भ्रमवश इन कानूनों का स्वागत कर रहे थे। तब जाकर किसान आंदोलन खड़ा हुआ और आखिरकार किसानों को इसमें ऐतिहासिक जीत मिली इसमें डॉ राजाराम त्रिपाठी तथा छत्तीसगढ़ की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उल्लेखनीय है कि तेजराम विद्रोही छत्तीसगढ़ के उन किसान नेताओं में थे जो अपनी टीम के साथ पूरे समय दिल्ली के बॉर्डर पर डटे रहे। इन्होंने बॉर्डर पर आंदोलन करते हुए ही कोरोना का भी सामना किया था, बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची थी।


मुख्य वक्ता की आसंदी से डॉ राजाराम त्रिपाठी ने वर्तमान में किसान, कृषि की दशा और दिशा तथा सभी फसलों के लिए "न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी क्यों है जरूरी ?? विषय पर बोलते हुए कहा सरकारें किसानों का वोट लेने के लिए किसानों की बातें तो बहुत करती हैं पर असली हकीकत यही है कि ये सरकारें कभी भी कृषकोन्मुखी नहीं रहीं, इन्होंने किसानों के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। राज्य हो अथवा केंद्र सरकार हो उसे अपनी प्रजा का पालन बिना भेदभाव के एक मां की भांति करना चाहिए। पर यह दुर्भाग्य रहा है कि राज्य तथा केंद्र सरकारों के होते हुए यानी कि दो-दो माताओं के होते हुए भी पिछले 75 वर्षों से किसान की हालत अनाथ की भांति बनी हुई है। किसान खेती-किसानी की नानाविध समस्याओं से तो सदैव परेशान रहा ही है , परन्तु उसके खून पसीने की कमाई, उसके उत्पादन की हर साल बाजार में होने वाली सामूहिक खुल्ला लूट से अब किसान की कमर टूट गई है, और उसका दम घुट रहा है, सांसे टूट रही हैं।। इसलिए,, इससे पहले कि देश की खेती किसानी और किसान का दम टूट जाए,,, " न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून " खेती और किसानों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन अथवा प्राणवायु की तरह जरूरी है। उन्होंने ने कहा कि केंद्र सरकार 28 प्रकार की कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का केवल निर्धारण या घोषणा भर करती है, जोकि केवल दीवार पर लिखे नीति वाक्य या सुभाषितानि की भांति है जिसे पालन करने के लिए व्यापारी या खरीददार बाध्य नहीं है। अव्वल तो सरकार का मूल्य निर्धारण करने की नीति ही किसान विरोधी है। और फिर जिन फसलों का दाम तय भी होता है उनकी भी कुल उत्पादन का मात्र 7 से 10 प्रतिशत ही खरीदी तय मूल्य पर होती है शेष 90 से 93 प्रतिशत उत्पादन की हर साल बाजारों में लूट होती है, जिसे किसान हर साल 25 से 30 प्रतिशत घाटा उठा कर बेच रहा है। इससे किसानों को हर साल 7 से 10 लाख करोड़ का घाटा हो रहा है। मतलब यह कि एमएसपी गारंटी कानून ना होने के कारण किसानों को कम से कम 7 लाख करोड़ का घाटा हर वर्ष हो रहा है। इसलिए अनाज, दलहन, तिलहन फसलों के साथ ही दूध,फल सब्जियों,मसाले, औषधीय फसलों उन समस्त फसलों का जो भी किसान अपनी मेहनत व लागत से उत्पादन करता है,उन सभी का लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी की कानूनी गारंटी अति आवश्यक है। चाहे केंद्र हो अथवा राज्य सरकारें अब सभी को समझना होगा कि, अब किसानों की प्राणवायु है "न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून" !!! इसे देने में अब और देरी करने से अनर्थ हो जाएगा।


इस किसान-महाबइठका को गेंदसिंह ठाकुर अध्यक्ष जिला किसान संघ बालोद, पवन सक्सेना कृषक बिरादरी, अजय कुमार साहू, किसान भुगतान संघर्ष समिति सांकरा, लक्ष्मी नारायण चंद्राकर अध्यक्ष, श्रीमती शारदा श्रीवास्तव उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ अभिकर्ता निवेशक कल्याण संघ, पवन चन्द्राकर,पंकज चन्द्राकर, किसान भुगतान संघर्ष समिति महासमुंद, श्याम मूरत कौशिक हम भारत के लोग बिलासपुर, गिरधर पटेल प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़, मदन लाल साहू उपाध्यक्ष अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़,भाई पारसनाथ साहू , गजेंद्र कोसले, श्रीमती चंद्रकांती सागर, श्रीमती संतोषी साहू संचालक मंडल सदस्य, पदम नेताम आदिवासी भारत महासभा, नवाब जिलानी छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, लल्लू सिंह जिला किसान संघ रायगढ़, लोकनाथ नायक किसान संघर्ष समिति कसडोल बलौदाबाजार, पलविंदर सिंह पन्नू, हरिंदर सिंह संधू सिक्ख संगठन गुरुद्वारा कमेटी रायपुर, छन्नू कोसरे राजधानी प्रभावित किसान संघर्ष समिति नया रायपुर, योगेश चन्द्राकर, तामेश्वर साहू आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम में प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख किसान नेताओं ने शिरकत की। दिवाली त्योहार तथा कृषि कार्यों की व्यस्तताओं के बावजूद सभा स्थल पर हजारों किसान जुटे। खेती तथा किसानों की समस्याओं तथा "न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून" की आवश्यकता से आम जनों को जोड़ने के उद्देश्य इस महाबइठका में एक नया प्रयोग किया गया जो कि अति सफल रहा। पूरे कार्यक्रम को शहर के सभी चौराहों तथा सार्वजनिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारकों की पर्याप्त व्यवस्था के जरिए पूरे महासमुंद शहर को इस कार्यक्रम से सीधे जोड़ा गया। पूरे शहर ने किसानों के इस किसान -महाबइठका कार्यक्रम की पूरी कार्यवाही को गौर से सुना तथा किसानों की व्यथा को जाना समझा। शहर के सभी चौराहों दुकानों होटलों में लोग एकत्र होकर किसान-बइठका की पूरी कार्यवाही को ध्यानपूर्वक सुनते तथा इस पर चर्चा करते नजर आए। हर कोई भले ही अपने अपने काम में लगा हुआ था पर उसके कान किसान -बइठका में चल रही कार्यवाही की ओर ही लगे थे।


तेजराम विद्रोही एवं जागेश्वर जुगनु चन्द्राकर ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आप सभी ने प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से खुले मन व मुक्त हाथों से हमें सहयोग प्रदान किया जिसके लिए हम आप सभी का तहे दिल से आभारी हैं। साथ ही हम आप सभी से उन बातों या व्यवहारों के लिए क्षमा प्रार्थी हैं जिससे आपको जाने-अनजाने किसी प्रकार की ठेस लगी हो। जन हितैषी मन्शा से यह आयोजन किया जिसमें जन हित के विषयों से जुड़े 28 बिंदुओं पर गंभीर चर्चा की गई। इसी विषय पर 10 नवंबर को दिल्ली में किसान नेताओं की एक और महा बैठक होने वाली है इसमें छत्तीसगढ़ की भी सक्रिय भूमिका रहने वाली है। इस बैठक में आगे की इस कानून को जल्द से जल्द लागू करवाने हेतु सभी किसान नेताओं ने सर्वसम्मति से आगे की रणनीति का खाका तैयार किया।

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