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दिल्ली-NCR में नहीं होगा डीजल ऑटो का रजिस्ट्रेशन, हरियाणा और यूपी के जिले इन जिलों में भी लागू होगा कानून

Shiv Kumar Mishra
2 Dec 2022 6:46 AM GMT
दिल्ली-NCR में नहीं होगा डीजल ऑटो का रजिस्ट्रेशन, हरियाणा और यूपी के जिले इन जिलों में भी लागू होगा कानून
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1 जनवरी 2023. साल का पहला दिन. इस दिन से दिल्ली-एनसीआर में डीजल ऑटो का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. सिर्फ सीएनजी या इलेक्ट्रिक ऑटो का ही रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. केंद्र सरकार ने इसके आदेश दिए हैं. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की निगरानी वाली केंद्र सरकार की एजेंसी कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने ये आदेश जारी किया है.

इस आदेश के मुताबिक, पूरी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में आने वाले एनसीआर जिलों में 1 जनवरी 2023 से सिर्फ सीएनजी या इलेक्ट्रॉनिक ऑटो का ही रजिस्ट्रेशन होगा. इसका मकसद ये है कि 2026 तक दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर डीजल पर चलने वाले ऑटो पूरी तरह हट जाएं.

क्या है पूरा आदेश?

कमिशन ने बुधवार को ये आदेश जारी किया था. ये आदेश दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में लागू होगा. इस आदेश में हरियाणा, यूपी और राजस्थान की सरकारों को आदेश दिया गया है कि 1 जनवरी 2023 से सिर्फ सीएनजी या इलेक्ट्रिक ऑटो का ही रजिस्ट्रेशन किया जाए.

इस आदेश में कहा गया है कि 31 दिसंबर 2024 के बाद गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, फरीदाबाद और गुरुग्राम में डीजल ऑटो नहीं चलेंगे. सोनीपत, रोहतक, झज्जर और बागपत में 31 दिसंबर 2025 तक की डेडलाइन है. और पूरे एनसीआर में 2026 के बाद डीजल ऑटो आउट ऑफ सर्विस हो जाएंगे.

किन-किन जिलों में लागू होगा ये आदेश?

ऐसा नहीं है कि ये आदेश पूरे हरियाणा, यूपी और राजस्थान पर लागू होगा. ये सिर्फ इन तीन राज्यों में पड़ने वाले एनसीआर जिलों पर ही लागू होगा. हरियाणा के 14 जिले- फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जिंद और करनाल में ये आदेश लागू होगा. इसी तरह यूपी के 8 जिले- गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, शामली और मुजफ्फरनगर में लागू होगा.

वहीं, राजस्थान के अलवर और भरतपुर इसके दायरे में आएंगे. जबकि, पूरी दिल्ली पर CAQM का ये आदेश लागू होगा.

क्यों लाया गया ये आदेश?

राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में हर साल वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. हवा में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण में PM2.5 बढ़ाने में गाड़ियों से निकलने वाले धुंए की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है.

हालांकि, दिल्ली में अभी भी एक भी डीजल ऑटो नहीं चल रहा है. यहां 1998 से ही डीजल ऑटो को सीएनजी में तब्दील करने की योजना शुरू हो गई थी. CAQM ने इसी साल जुलाई में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नई नीति जारी की थी. इसके तहत, जिनके पास वैलिड पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होगा, उन्हें 1 जनवरी से फ्यूल भी नहीं मिलेगा.

क्या इससे ऑटो वाले खुश हैं?

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए उठाए गए इस कदम का दिल्ली ऑटो रिक्शा एसोसिएशन ने स्वागत किया है. हालांकि, ऑटो ड्राइवर्स का कहना है कि डीजल से सीएनजी या इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करने के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए.

दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने न्यूज एजेंसी से कहा कि इन राज्यों की सरकारों को ऑटो ड्राइवर को सब्सिडी देनी चाहिए, ताकि वो सीएनजी या इलेक्ट्रिक ऑटो खरीद सकें.

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