
केजरीवाल पहले मिले भारी चंदे को छुपाने की नीयत क्यों हुई ? तो अब चंदा क्यों !

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने जून 2016 से ही आम और खास लोगों से चंदा लेने का अधिकार खो दिया है। जब पार्टी प्रमुख केजरीवाल ने आधिकारिक वेबसाइट का विवरण हटा दिया। ओह कहते थे की चाँद में मिले एक एक रुपए का हिसाब पब्लिक डोमेन में होगा, लेकिन चंदा छुपाने की नीयत ने उनकी चंदा को लेकर पारदर्शिता रखने के दावे की पोल खोल दी है। आम आदमी पार्टी के पूर्व विदेश सह संयोजक मुनीश रायज़ादा ने रविवार से अरविन्द केरीवाल के मेगा डोनेशन ड्राइव पर कटाक्ष करते हुए उक्त बातें कहीं। रायज़ादा ने कहा की केजरीवाल उतने ही ईमानदार हैं जितना की वो दावा करते हैं तो देश विदेश से उन्हें मिले भारी चंदे को छुपाने की नीयत क्यों हुई ? चंदे के पैसे से बनी पार्टी से उस शख्स को बड़ी बेआबरू कर बाहर निकाल दिया गया, जिन्होंने पार्टी को शगुन के चंदे के रूप में दो करोड़ रुपए दिए थे। पारदर्शिता की बात करने वाले एक एक लोग को पार्टी से बाहर निकालने का एक सिलसिला ही शुरू हो गया।
उन्होंने कहा की केजरीवाल जैसा अति महत्वाकांक्षी व्यक्ति चंदे के पैसे से सत्ता के शिखर तक पहुंचना चाहता है। क्या लोगों को अरविन्द केजरीवाल का राजनितिक करियर बनाने के लिए चंदा देना चाहिए ? क्या उस स्वार्थी वयक्ति को चंदा देना चाहिए जो आम लोगों को दिए पैसे के दम पर देश की राजनीति में छा जाना चाहते हैं।
रायज़ादा ने केजरीवाल के सभी दावों की हवा निकालते हुए कहा की एजुकेशन, हेल्थ, मुफ्त पानी बिजली और गवर्ननेंस के क्षेत्र में कमाल करने का दवा करने वाले केजरीवाल ने अपना एक तिलिस्म खड़ा किया है। बिजली हाफ और पानी माफ़ स्कीम का फायदा दिल्ली की 60 फीसदी आबादी को नहीं मिल प् रहा है जो दिल्ली में किराये के माकन में रहते हैं। दिल्ली के अस्पतालों में बहरी लोगों को मुफ्त इलाज देने की बात कर वह विभाजन की राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगायी है। वैसे उन्हें पता होनी चाहिए की सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त ही मिलता है।
दुनिया भर में मोहल्ला क्लिनिक का ढोल पीटने वाले को पता होना चाहिए की कुछ गिने चुने मोहल्ला क्लिनिक को छोड़कर बाकि मोहल्ला क्लिनिक का हाल खस्ता है। मुश्किल से -तीन चार लाख की वास्तविक लगत वाले क्लिनिक को बनाने में 17 लाख रुपए खर्च किये गए है जो टीन के एक शेड की तरह दीखता है। यहाँ आधार कार्ड के बिना तो मरीजों को इलाज करने से मना कर दिया जाता है।
पांच स्कूल ऑफ़ एक्सेलन्स और मॉडल स्कूल बनाकर लोगों को वह बेवकूफ बना रहे हैं की दिल्ली की सभी 1117 स्कूल का कायाकल्प हो गया है। रायज़ादा ने चंदा बंद सत्याग्रह के माध्यम से पार्टी के वेबसाइट पर चंदे की सूचि को फिर से शुरू करने की मांग करते हुए कहा की पहले पारदर्शिता लाओ फिर चंदे की मांग करो।