दिल्ली

अनुदेशक के मामले में यूपी सरकार ने मोदी सरकार को बनाया पार्टी, क्या डबल इंजन सरकार आपस में ही लड़ेगी

Shiv Kumar Mishra
11 May 2023 3:49 AM GMT
अनुदेशक के मामले में यूपी सरकार ने मोदी सरकार को बनाया पार्टी, क्या डबल इंजन सरकार आपस में ही लड़ेगी
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अनुदेशकों के केस में 23 लोगों को सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने पार्टी बनाया है।

Anudeshak case : उत्तर प्रदेश में अनुदेशकों के 17000 हजार मानदेय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच और डबल बेंच ने अपना ऑर्डर आकर दिया। जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है। इस एसएलपी में राज्य सरकार ने 23 याची अनुदेशकों के साथ साथ केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया है क्योंकि हाईकोर्ट के ऑर्डर में केंद्र सरकार ने अपना हलफ़नामा दाखिल किया है कि वो राज्य सरकार को अपने हिस्से का पूरा पैसा देती है। जबकि राज्य सरकार इस पैसे से क्या करती है उन्हे नहीं मालूम।

इस बात पर है हाईकोर्ट में अनुदेशकों के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने सवाल किया था कि मिलॉर्ड यह तो एक बाद घोटाला निकलेगा। लेकिन फिलहाल जब केंद्र सरकार अपने हिस्से का पैसा दे रही तो राज्य सरकार को इनका 17000 हजार देने में आनाकानी क्यों?

अब राज्य सरकार के इस एसएलपी दायर होने के बाद अनुदेशक भी अपनी एसोसिएशन के माध्यम से अपने 17000 हजार को लेकर सुप्रीम कोर्ट चला गया। जिसमें जस्टिस ने यह सवाल किया था कि आपको किसी ने गलत फैसला सुना दिया तो क्या हम उसको लागू कर दें, तब अनुदेशकों के अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने पूरी तरह से इस केस को समझाया और तब डबल बैंच के जस्टिस ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया और अपना पक्ष रखने के लिए कहा। यह नोटिस मिलते ही सरकार चकरा गई क्योंकि उन्होंने नहीं सोचा था कि अनुदेशक भी सुप्रीम कोर्ट चला जाएगा।

तब सरकार ने अपनी एसएलपी में लगे इफेक्ट हटवाये और उसकी सुनवाई का प्रोसेस शुरू किया है वर्ना हाईकोर्ट की तरह सरकार फिर अपनी एसएलपी होल्ड पर बनाए रखती। यह काम अक्सर सरकारें करती रहती हैं चूंकि सरकारी केस में कोर्ट भी ज्यादा दखल नहीं देते है। जब तक दूसरा पक्ष अपना ज्यादा गुहार न लगाए इस लिहाज से अब सरकार की अपील में जल्द सुनवाई होने की उम्मीद बनी है।

अनुदेशकों के इस मामले में फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में अनुदेशकों का पलड़ा भारी है। सरकार को अब दोनों केसों में बचाव की मुद्रा में आना पड़ेगा वहीं अनुदेशकों के सामने चुनौती है कि सरकार की अपील सुनवाई से पहले ही खारिज हो जाए और यह संभव है क्योंकि कोर्ट कह सकता है कि जाइए आप अनुदेशकों वाली याचिका में अपना पक्षरखिए और उनके मानदेय देने का विचार कीजिए।



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