दिल्ली

पैसे की हवस में इंसान को हैवान बनने में अधिक वक्त नहीं लगता

सुजीत गुप्ता
31 Aug 2021 10:02 AM GMT
पैसे की हवस में इंसान को हैवान बनने में अधिक वक्त नहीं लगता
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पैसे की हवस में इंसान को हैवान बनने में अधिक वक्त नहीं लगता है। आज इसके दो बेहतरीन उदाहरण मैं आपके सापने पेश करने जा रहा है। पहला आम्रपाली और दूसरा सुपरटेक। संयोग से मैं अपनी रिपोर्टिंग के दौरान इन दोनों कंपनियों के मालिक अनिल शर्मा और आरके अरोड़ा से कई बार मिला। उस दौर में ये दोनों रियलटी कंपनियां नोएडा मार्केट की बेताज बादशाह थी।

साल 2010 से 2015 जब रियल एस्टेट सेक्टर उफान पर था तो इन दोनों कंपनियां की बाजार हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी के करीब थी लेकिन शर्मा जी और अरोड़ा में पैसे की ऐसी हवस पैदा हुई कि इन्होंने कोई गलत काम करने से गुरेज नहीं किया। आम्रपाली ग्रुप तो बिल्कुल बरबाद हो गया। खरीदार आज 10 साल बाद ही अपने घर का इंतजार कर रहे हैं।

अब एनबीसीसी से आश लगाए हुए हैं। सुपरटेक पर भी करोड़ों का कर्ज है। आप सुप्रीम कोर्ट ने दो अवैध टावर गिराने के आदेश भी दे दिए है। मुझे भी याद आया कि जब मैं पी7 ग्रुप के था तो 2014 में एक स्टेारी इसी दोनों टावार पर की थी मनी मंत्र के लिए। नए नजर डालेंगे तो पूरा मामले को समझने में आसानी होगी।

बतादें कि सुपरटेक एमराल्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को 2 महीने में गिराने के आदेश दिए हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए. साथ ही दूसरी इमारतों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए टावर गिराए जाएं . नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद ले. जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया गया है उनको रिफंड दिया जाए.कोर्ट ने कहा कि खरीदारों को दो महीने में पैसा रिफंड किया जाए.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा. यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है. अवैधता से सख्ती से निपटना होगा. बिल्डरों और योजनाकारों के बीच अपवित्र गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित किया जाता है जिसके वे हकदार हैं.

न्यायालय ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों का उल्लंघन है. टावरों के बीच न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के खिलाफ है. भवन निर्माण के नियमों का पालन नहीं करने से अग्नि सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन हुआ है. टावरों के निर्माण के लिए हरित क्षेत्र का उल्लंघन किया गया था.

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