दिल्ली

पत्रकार शशांक पाठक का निधन

Shiv Kumar Mishra
16 April 2021 10:02 AM GMT
पत्रकार शशांक पाठक का निधन
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कुछ किरदार ऐसे होते हैं जिन्हें अपने इरादों का परिचय देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। उनकी आँखों की चमक, उनके शब्दों की बयार और उनकी मूक भंगिमा खुद ही बयान करते हैं कि बंदे में दम है। बस इसी दम की दास्तान अधूरी रह गयी।

शशांक पाठक से परिचय सिर्फ़ पाँच साल पुराना था। लेकिन उसकी मेहनत, तार्किक समझ और आदर्शों की उड़ान ने शुरू से ही हमारे दिलों में इक कोना क़ब्ज़ा लिया था। वो खुद तो जीवन यात्रा पूरी कर चला, लेकिन हम सब के दिलों के उस कोने में ताउम्र छुपा रहेगा। गाहे बगाहे उसकी याद सिर उठाती रहेगी, कभी कचोट जाएगी, तो कभी खिलखिलाती हुई कोई बात उमड़ आएगी।

IIMC से पत्रकारिता पढ़ने के बाद शशांक राज्यसभा टीवी से जुड़ गया था। Amrita Rai की टीम में इंटर्न बना था। उसके प्रोफेशनलिज्म , सामाजिक सरोकार और कुछ कर दिखाने की जिजीविषा ने जल्द ही हमें प्रभावित कर लिया। और कुछ यूँ किया कि जब हमने हिंदकिसान शुरू किया और फिर स्वराज एक्स्प्रेस बनाया, तो शशांक सबसे पहला व्यक्ति था, जिसे हमने जुड़ने का न्यौता दिया।

पिछले दो सालों में शशांक ने अपने विचारों को खूब धार दी, राजनीतिक समझदारी स्पष्ट की और एक खाँटी, श्रेष्ठ पत्रकार के रूप में सामने आया। जब स्वराज एक्स्प्रेस का सफ़र रुका, तो हमने शशांक से आग्रह किया कि हिंदकिसान से जुड़ा रहे। ये उसकी क्षमताओं में हमारा विश्वास था। वो जुड़ा तो रहा, लेकिन उसकी आत्मा किसान आंदोलन के बीच उतर कर रिपोर्टिंग के लिए तड़पती रही। वो बैठ नहीं सकता था। उसे बस उड़ना आता था। इसीलिए तनख़्वाह का मोह छोड़ कर, बिना किसी सपोर्ट के, रिपोर्टिंग में वापिस चला गया।

किसान आंदोलन में उसकी रिपोर्टिंग खूब खिल कर आयी। साथ ही उसका खिलखिलाता स्वभाव इस मुश्किल दौर में पत्रकारिता को सहज रूप से निखारता गया। जिसे उड़ना आता था, उसकी उड़ान को किसान आंदोलन का आकाश मिल गया था। अफ़सोस कि इसी उड़ान को भरते भरते वो आज अचानक इतनी दूर चला गया कि न वो वापिस आ सकता है, न हमारी आवाज़ उस तक पहुँच सकती है, न ही हज़ारों किसानों की दुआयें अब बुला सकती हैं।

अंत में इतना भर और कहूँगा। बाइक से यात्राएँ अब ठीक नहीं। हमारे यहाँ ट्रैफ़िक सिस्टम पगला चुका है। लोगों के हाथों में पावरफ़ुल स्टियरिंग हैं, लेकिन मिज़ाज उनसे मैच नहीं करते। ज़िन्दगियों का यूँ चले जाना ठीक नहीं है।

शशांक के निधन पर किसान नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि अभी पता लगा कि निर्भीक, जन सरोकारी और प्रतिबद्ध पत्रकारिता के वाहक युवा पत्रकार भाई शशांक पाठक की आज सुबह सड़क एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई। किसान आंदोलन ने एक सच्चा मित्र खो दिया। स्नेहपूर्ण श्रद्धांजलि!

Gurdeep Singh Sappal

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