
सास, बहू झगड़ा: हर बार बहू गलत हो जरूरी नहीं: तीस हजारी कोर्ट दिल्ली

सास बहू झगड़े पर कोर्ट ने कहा कि घर के भीतर सास-बहू के बीच होने वाले झगड़े को सार्वजनिक शांति भंग होना नहीं माना सकता। अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि घर के अंदर सास-बहू का विवाद होना सामान्य सी बात है। इससे पड़ोसियों और बाहरी लोगों की शांति भंग का कोई आधार नहीं बनता।
दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट का मामला
दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीष खुराना की अदालत ने इस मामले में विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रट द्वारा बहू के खिलाफ जारी CRPC की धारा 107/111 का कलंदरा रद्द करने का आदेश दिया है।
हर बार बहू गलत हो जरूरी नहीं
अदालत ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि हर बार बहू गलत हो। यहां पुलिस को विवेक से काम लेना चाहिए था। घर के झगड़े को शांति भंग करने का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए था। अदालत ने यह भी कहा कि एसईएम ने इस मामले में बहू का पक्ष तक नहीं सुना और ना ही पूरे मामले के तथ्यों पर गंभीरता से विचार किया। सीधे बहू को कटघरे में खड़ा कर उसे शांति भंग करने का दोषी मानते हुए मुचलका भरने का आदेश दे दिया।
बहू ने कोर्ट के आदेश को दिया था चुनौती
याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष कहा कि उसका अपनी सास के साथ 20 दिसंबर 2018 को झगड़ा हो गया था। सास ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस ने बहू के खिलाफ शांति भंग करने का कलंदरा काट दिया। महिला को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट(SEM) के समक्ष पेश होने को कहा गया। एसईएम ने इस मामले में बहू को दोषी ठहराते हुए छह महीने की अवधि के लिए मुचलका भरने के आदेश दिया। बहू ने एसईएम के इस आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी। सत्र अदालत ने इस मामले को शांति भंग होने का मुकदमा मानने से ही इनकार कर दिया है।
Satyapal Singh Kaushik
न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।