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वारदात के समय नाबालिग होने की दलील देकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा निर्भया का दोषी, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की SLP
नई दिल्ली : निर्भया केस के दोषी पवन ने अब खुद को अपराध के वक्त नाबालिग होने का दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दाखिल की है। दोषी पवन कुमार गुप्ता ने हाई कोर्ट के 19 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने फर्जी दस्तावेज जमा करने और अदालत में हाजिर नहीं होने के लिए उनके वकील की निंदा भी की थी। कानून के जानकारों के मुताबिक पवन को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल पाएगी। आज ही राष्ट्रपति ने निर्भया के दोषी मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी है।
हाई कोर्ट से खारिज हुई थी पवन की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषी पवन की नाबालिग बतानेवाली याचिका को खारिज कर दी थी। कोर्ट ने पवन के वकील ए पी सिंह पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। निर्भया के दोषियों में से एक पवन कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर दावा किया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी।
दोषी मुकेश की दया याचिका खारिज
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया केस के दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी है। क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया के लिए गुहार लगाई थी। हालांकि, राष्ट्रपति कोविंद ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी है और अब उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा।
1 फरवरी को फांसी
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों के खिलाफ नया डेथ वॉरंट जारी किया है। चारो दोषियों-मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर व पवन गुप्ता को अब 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। चारों को पहले 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी। कोर्ट को तिहाड़ जेल अधिकारियों ने सूचना दी कि मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। इसके बाद कोर्ट ने नया डेथ वॉरंट जारी किया।
'मैं नहीं जानती फांसी होगी या फिर बढ़ेगी तारीख'
नया डेथ वॉरंट जारी होने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, 'कल सिसोदिया साहब कह रहे थे कि पुलिस दे दीजिए दो दिन में फांसी देकर दिखाऊंगा। इसमें पुलिस से क्या मतलब। अब मुझे लग रहा है कि ये लोग मेरी बेटी को मौत को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। अच्छा होता ये कहते कि पुलिस दे दीजिए, मैं 6 महीने में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करके दिखाता हूं। मैं अदालतों, सरकार और पूरे सिस्टम से निराश हूं। मैं नहीं जानती कि उन्हें फांसी दी जाएगी या तारीख फिर आगे बढ़ेगी।'