दिल्ली

निर्भया के दोषी अक्षय कुमार की पुनर्विचार याचिका खारिज, फांसी की सजा बरकरार ? जानिए- अदालत में किसने क्या कहा

Sujeet Kumar Gupta
18 Dec 2019 1:32 PM IST
निर्भया के दोषी अक्षय कुमार की पुनर्विचार याचिका खारिज, फांसी की सजा बरकरार ? जानिए- अदालत में किसने क्या कहा
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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज निर्भया केस में फांसी की सजा पाने वाले 4 दोषियों में से एक अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर आज खारिज कर दिया है दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने TIP यानी टेस्ट इन परेड को लेकर भी सवाल उठाए. जस्टिस भानुमति ने कहा कि इस पॉइंट को ट्रायल में कंसीडर किया गया था? सिंह ने कहा कि नहीं, ये नया फैक्ट है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बहस के लिए सभी पक्षों को 30-30 मिनट का समय दिया है।

निर्भया मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि दोषी किसी भी तरह की उदारता का हकदार नहीं है और भगवान भी ऐसे 'दरिंदे' को बना शर्मसार होगा। तुषार मेहता ने आगे कहा, कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें 'मानवता रोती' है और यह मामला उन्हीं में से एक है।

सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए।

अदालत में किसने क्या कहा-

अदालत ने दोषी अक्षय के वकील से कहा कि आपके पास आधा घंटा है।

जब दोषी के वकील ने जांच पर सवाल उठाया तो अदालत ने कहा कि अब जांच पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।

यह भी सामने आया है कि निर्भया के दोषी के वकील एपी सिंह ने अदालत को बताया कि उनके पास अब नए तथ्य हैं।

दोषी के वकील ने अदालत में ये भी कहा है कि उसके मुवक्किल को मीडिया, जनता और राजनीतिक दबाव में दोषी ठहराया गया था और वह दबाव आज भी बरकरार है।

वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोस्त जिक्र करते हुए कहा कि वह पैसे लेकर मीडिया को बयान दे रहा था, इसकी शिकायत सह आरोपी के पिता ने की है और वह मामला कोर्ट में लंबित है।

दोषी के वकील ने ये भी कहा कि अक्षय का परिवार पीड़ा भोग रहा है।

वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अक्षय को मौत की सजा न दी जाए।

वकील एपी सिंह ने कहा कि आरोपी राम सिंह जिसने तिहाड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी उसके विसरा में शराब पाई गई थी। उसकी जांच क्यों नहीं हुई। आखिर जेल में बंद एक कैदी को शराब कैसे मिली इस बात की जांच क्यों नहीं हुई।

कितने साल से देश की जेलों में सैकड़ों बड़े अपराधी बंद हैं उन्हें कोई सजा नहीं हुई, अक्षय को भी फांसी मत दीजिए, यह सब राजनीतिक दबाव के चलते हो रहा है।

पीड़िता के बयान पर भी सवाल उठाए गए हैं, वकील एपी सिंह ने कहा कि पीड़िता लगातार मॉर्फिन के नशे में थी वह कैसे बयान दे सकती है।

वकील ने एक बार फिर से द्वापर और त्रेता युग का उदाहरण देते हुए कहा कि तब लोगों की उम्र लंबी होती थी अब तो वैसे ही लोगों की उम्र कम हो गई है, इसलिए उन्हें मौत की सजा न दी जाए।

वकील ने ये भी कहा कि फांसी मानवाधिकारों का हनन है, इसलिए फांसी की सजा न दी जाए।

वकील ने एक बार फिर कहा कि लोग यहां प्रदूषण से मर रहे हैं, फांसी न दी जाए।

वकील ने ये भी कहा कि आज तक किसी अमीर को फांसी नहीं हुई।

वकील ने कहा है कि फांसी की सजा बहुत पुरानी है और फांसी से अपराधी मरता है अपराध नहीं। इससे अन्य अपराधियों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता

एपी सिंह ने ये भी कहा कि इस मामले में जो बस थी उसे सीसीटीवी की मदद से ढूंढा गया फिर पुलिस स्टेशन की बजाय त्यागराज स्टेडियम में रख दिया गया, ये भी सवाल खड़े करता है कि ऐसा क्यों हुआ।

दोषी के वकील की दलीलों के बाद अदालत ने कहा कि आप ठोस बातें कहें, हमारे फैसले में कमी बताएं।

देश में मौत की सजा को खत्म कर देना चाहिए। अक्षय को गलत तरीके से फंसाया गया है, उसके खिलाफ झूठे सबूत तैयार किए गए हैं। निर्भया का मौत से पहले दिया गया बयान संदिग्ध है। यह बनाया लगता है। वह स्वैच्छिक नहीं था। उसने अपने बयान में अक्षय का नाम नहीं लिया था।

वकील ने कोर्ट में ये दलील भी दी कि अपने पहले डाइंग डेक्लेरेशन में निर्भया ने किसी भी आरोपी का नाम नहीं लिया था, जिसके अपराध किया हो। उसके मौत की वजह घावों के सड़ने और दवा की अधिकता की वजह से हुई थी।

इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सीजेआई ने कहा था कि उनके एक रिश्तेदार ने निर्भया की मां की तरफ से केस की पैरवी की थी। नई बेंच में सीजेआई की जगह जस्टिस एसए बोपन्ना और जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। निर्भया में तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं।

दिसंबर 2012 में निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 मंत अक्षय, मुकेश, पवन और विनय को मौत की सजा सुनाई थी। एक अन्य दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी।दोषी विनय ने राष्ट्रपति के पास भेजी दया याचिका वापस लेने की मांग की है। उसने कहा था कि दया याचिका पर मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं।

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