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निर्भया गैंगरेप: दोषी मुकेश सिंह ने भेजा राष्ट्रपति को दया याचिका, उनके के पास ये है अधिकार

Sujeet Kumar Gupta
14 Jan 2020 2:19 PM GMT
निर्भया गैंगरेप: दोषी मुकेश सिंह ने भेजा राष्ट्रपति को दया याचिका, उनके के पास ये है अधिकार
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संविधान की धारा-72 के अनुसार राष्ट्रपति को ये अधिकार है कि वे ..,

नई दिल्ली। निर्भया कांड के दोषी मुकेश कुमार ने राष्ट्रपति से दया की मांग की है। इसके लिए उसने अपनी दया याचिका जेल प्रशासन को सौंप दी है। क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद मुकेश के पास अपनी सजा कम करने के लिए यह अंतिम विकल्प है।

इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषी विनय शर्मा और मुकेश द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन (समीक्षा याचिका) को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि दोषियों की पूर्व में दायर पुनर्विचार याचिका और क्यूरेटिव याचिका में खास अंतर नहीं है और इस याचिका में कोई ऐसी नई बात नहीं है जिसका संज्ञान लिया जाए

दोषियों के पास सारे कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं. दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति के पास है. राष्ट्रपति ने भी अगर दया याचिका खारिज कर दी तो दोषियों की मौत की सजा तय तारीख पर ही मिलेगी. इस दया याचिका में राष्ट्रपति से मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में बदलने की गुहार लगाई गई है।

बस की सफाई का काम करने वाला मुकेश (29) भी इस बर्बरता का मुख्य आरोपी है। उसने गैंगरेप के बाद निर्भया पर लोहे की रॉड से हमला किया था। ये राम सिंह का छोटा भाई था। मुकेश ड्राइविंग और क्लीनर का काम करता था। मुकेश दक्षिणी दिल्ली के रविदास झुग्गी कैंप में राम सिंह के साथ ही रहता था।

संविधान की धारा-72 के अनुसार राष्ट्रपति को ये अधिकार है कि वे सजा माफ कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें किसी कारण को बताने की जरूरत नहीं पड़ती है. ये राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है. अब ये दोषियों पर निर्भर करता है कि वे दया याचिका लगाते हैं या नहीं. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया कांड के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी के लिए डेथ वारंट जारी किया है।

बतादे कि दिल्ली के मुनिरका में 16 दिसंबर 2012 की रात सड़क दौड़ रही बस में निर्भया के साथ दरिंदगी की गई थी। दरिंदों ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे निर्वस्त्र हालत में चलती बस से नीचे फेंक दिया। इसके बाद पीड़िता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत में कुछ सुधार नहीं होने की वजह से 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर भेजा गया। वहां इलाज के दौरान पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई।

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