
पासपोर्ट सरेंडर करने के मामले में गोवा रहा सबसे आगे जाने क्या है वजह

दस वर्षों में करीब 70,000 भारतीय पासपोर्ट सरेंडर, गोवा पहले स्थान पर है।एक दशक में कुल मिलाकर लगभग 70,000 भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किए गए, जिनमें से 40.45% भारतीय पासपोर्टों के मामले में गोवा पहले स्थान पर था। पासपोर्ट सरेंडर करने वाले अन्य राज्यों में पंजाब (13.79%) और गुजरात (12.87%) शामिल हैं।
यह आंकड़े लोक सभा में एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं। इस आंकड़े ने दिखाया है कि पिछले कुछ वर्षों में पासपोर्ट सरेंडर की संख्या बढ़ रही है, जिसका परिणामस्वरूप 2022 में दसवें दशक में सरेंडर की सबसे अधिक संख्या हुई है।
लोग अपने पासपोर्ट सरेंडर करने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोग ऐसा कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी है। कुछ लोग अपने पासपोर्ट सरेंडर करते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी खो चुकी है या यात्रा करने की सामर्थ्य नहीं है। अन्य लोग अपने पासपोर्ट सरेंडर करते हैं क्योंकि उन्हें आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है या किसी अपराध में सजा हो चुकी है।
पासपोर्ट सरेंडर के कारण व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। हालांकि आंकड़े दिखाते हैं कि जिन लोगों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर किए हैं, गोवा उनकी पसंदीदा स्थल है। इसका कारण संभवतः यह है कि गोवा में एक बड़ी पोर्चुगीज़ आबादी है और बहुत से लोग जिनके पास पोर्चुगीज़ मूल हैं, पोर्चुगीज़ नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होते हैं।
पासपोर्ट सरेंडर का प्रभाव व्यक्तियों और देश के लिए कई प्रकार से हो सकता है। व्यक्तियों के लिए, पासपोर्ट सरेंडर करना अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने में कठिनाई पैदा कर सकता है। इससे बैंक खाते खोलना या कुछ देशों में नौकरी प्राप्त करना भी कठिन हो सकता है। देश के लिए, पासपोर्ट सरेंडर करने से पासपोर्ट शुल्क के राजस्व का हानि हो सकता है। इससे सरकार के नागरिकों की गतिविधियों को ट्रैक करना भी कठिन हो सकता है।
सरकार ने पासपोर्ट सरेंडर के मुद्दे को संबोधित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। 2018 में, विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट रखने की प्रोत्साहना करने के लिए एक अभियान शुरू किया। इस अभियान में विभिन्न पहल की गईं, जैसे कि पासपोर्ट रखने के लाभ के बारे में जानकारी प्रदान करना और पासपोर्ट शुल्क पर छूट देना।
सरकार ने इसके अलावा उन लोगों के लिए भारतीय नागरिकता त्यागने को कठिन बनाने के लिए कदम उठाए हैं जिनके पास आपराधिक रिकॉर्ड हैं। 2020 में, सरकार ने नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया था ताकि अगर किसी के पास अपराधिक रिकॉर्ड हो तो वह अपनी नागरिकता त्यागने में कठिनाई हो।
पासपोर्ट सरेंडर का मुद्दा जटिल है और कोई आसान समाधान नहीं है। हालांकि, सरकार के प्रयास मुद्दे को संबोधित करने में एक कदम हैं।
उपरोक्त दी गई जानकारी के अलावा, भारत में पासपोर्ट सरेंडर के बारे में कुछ और रोचक तथ्य हैं:
* एक ही साल में सर्वाधिक पासपोर्ट सरेंडर 2022 में हुए, जिसमें 12,878 पासपोर्ट सरेंडर किए गए थे।
* एक ही साल में सर्वाधिक पासपोर्ट सरेंडर 2011 में हुए, जिसमें 6,322 पासपोर्ट सरेंडर किए गए थे।
* दस वर्षों के दौरान पासपोर्ट सरेंडर करने वाले लोगों की औसत आयु 35 वर्ष थी।
* पासपोर्ट सरेंडर का सबसे सामान्य कारण भारतीय नागरिकता त्याग (40%) था।
* पासपोर्ट सरेंडर के अन्य कारणों में नौकरी हानि (15%), यात्रा करने की सामर्थ्य नहीं होना (10%) और आपराधिक मामले (5%) शामिल थे।