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पंजाब के किसान संगठनों का बड़ा फ़ैसला, क्या करेगी अब पंजाब सरकार ?
आज सयुंक्त किसान मोर्चा के प्रमुख अंग पंजाब की 32 किसान संगठनों की बैठक सिंघु बॉर्डर पर हुई। इस बैठक में सभी संगठनों के राज्य स्तर के मुख्य नेता मौजूद रहे। मीटिंग की अध्यक्षता बलदेव सिंह निहालगढ ने की।
बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना के खिलाफ लड़ने में असफल रही है।सरकार नागरिको को स्वास्थ्य सुविधाएं व मूलभूत सुविधा जैसे ऑक्सिजन, बेड, दवाइयां आदि प्रदान करने में फेल साबित हुई है। हालांकि भाजपा किसानों के धरनों को कोरोना फैलाने का बड़ा कारण बता रही है परंतु यहाँ किसान जरूरी सावधानियां बरत रहे है। सरकारें अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए व जन विरोधी फैसले लेने के लिए लॉकडाउन लगा रही है। इससे किसानो, मजदूरो, दुकानदारों व आम नागरिकों का जीवन बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। पंजाब की 32 किसान यूनियनों का यह फैसला है कि 8 मई को पंजाब भर में किसान, मजदूर, दुकानदार बड़ी संख्या में सड़को पर आकर लॉकडाउन का विरोध करेंगे।
बूटा सिंह बुर्जगिल ने बताया कि आने वाली 10 मई व 12 मई को दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब से किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली बोर्डर्स के लिए रवाना होंगे व मोर्चो को मजबूत किया जाएगा। बलदेव सिंह निहालगढ ने कहा कि किसानों के धरने हमेशा मजबूत रहेंगे। कटाई का सीजन खत्म हो गया है व अब अलग अलग जत्थों में किसान दिल्ली की तरफ रवाना होंगे।
किसान नेता सतनाम सिंह अजनाला के अनुसार कोरोना की आड़ में सरकार कॉरपोरेट वर्ग को फायदा करना चाहती है। किसानों-मजदूरो के शोषण सम्बधी फैसले लॉकडाउन में ही लिए गए। बोघ सिंह मानसा ने कहा कि राज्यो के चुनावो में किसानों ने भाजपा का बड़े स्तर पर राजनैतिक नुकसान किया है।
किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि सरकार को जान माल का रखवाला कहा जाता है परंतु माल तो छोड़ो सरकार लोगों की जान की रखवाली भी नहीं कर रही। बलविंदर सिंह राजू के अनुसार सरकार कोरोना की आड़ में शोषणकारी फैसले लेती है व इसी दिशा में किसानों की जमीनें छीनना चाहती है।
किसान नेताओ ने कहा है कि वे सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है व पूरी तरह से आशावादी है। सरकार किसानों को बदनाम करना बंद करें व साफ नियत से बातचीत करें।