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किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का 84 वां जन्मदिन आज

Special Coverage News
6 Oct 2019 8:55 AM GMT
किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का 84 वां जन्मदिन आज
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बिजनौर किसानों के मसीहा रहे महेंद्र सिंह टिकैत का आज भारतीय किसान यूनियन के किसानों ने गन्ना समिति पहुंचकर 84 वा जन्मदिन धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर किसानों ने महेंद्र सिंह टिकैत बाबा को याद करते हुए उनके विचारों पर चलने का फैसला किया।

इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन के किसानों ने गन्ना समिति पहुंचकर महेंद्र सिंह टिकैत के चित्र पर माला अर्पण कर हवन का आयोजन किया। किसानों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर किसानों के मसीहा रहे महेंद्र सिंह टिकैत का धूमधाम से जन्म उत्सव मनाया।

देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों और खलिहानों से होकर गुजरता है. चौधरी चरण सिंह ऐसा कहते थे. उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है. चाहे कोई भी लीडर आ जाए, चाहे कितना ही अच्छा कार्यक्रम चलाओ, जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता.

किसानों में हक के लिए संघर्ष का जज्बा भर गए भाकियू संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की अलबेली जिंदगी सबके लिए कौतूहल का विषय थी। अपने आंदोलन, धरनों और जेल यात्राओं से देश-दुनिया की सुर्खियां बने टिकैत की 84 वीं जयंती पर उनके जीवन की ऐसी अनसुनी बातें सामने आती है, जिसमें उनकी सादगी और सरलता अचंभित करती है।

बड़े आंदोलनों के 'महानायक' चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने देश में किसान राजनीति की दिशा बदल दी थी। लंबी संघर्ष यात्रा में सरकार से सीधे टकराव भी हुए। सत्ता के गलियारों ने उन्हें अनेकों बार लुभाया, मगर वे अपनी राह ही चलते गए। उन्होंने न अपनी खेती-किसानी छोड़ी और न ही देहाती अंदाज। उनकी दृढ़ संकल्प शक्ति ने उन्हें 'महात्मा' और 'बाबा' की संज्ञा दिलाई। उनके जीवन से जुड़े कितने ही अनछुए पहलू है, जो संगी-साथियों के दिल में आज भी बसे हैं।

सिसौली के ही दरियाव सिंह चौधरी टिकैत के बचपन के मित्र हैं। बकौल उनके, चाहे खेत पर हल चलाया या ईंख खुदाई की, मगर टिकैत हमेशा परमात्मा का ध्यान लगाते थे। महाभारत और रामायण के प्रसंग उनको याद थे। किसानों की पंचायतों में इतिहास के प्रसंग को भाषण से जोड़ने की उनकी कला थी। सिसौली का होली मेला या स्वांग, अपनी सहभागिता निभाते थे। टिकैत कहते थे, अयोध्या से राम, लक्ष्मण और सीता, तीनों 14 बरस के वनवास पर गये थे और लौटे भी तीनों ही ये महापुरुषों का चरित्र था। बुजुर्ग दरियाव सिंह बताते हैं कि किसानों के आंदोलन में जब भी अड़चनें आई, संघर्ष बढ़ा तो चौधरी टिकैत ढिंढावली गांव में नेत्रपाल वर्मा के घेर के पास पीपल के नीचे मंदिर में दिया-बत्ती जलाने जाते थे। कहते थे भगवान संघर्ष की शक्ति देता है। वे सादे किसान थे, कभी फिल्म नहीं देखी। गांव-गरीब के दु:ख में जरूर शरीक होते थे। टिकैत जिन धार्मिक पुस्तकों को पढ़ते थे, वो सब अब उनके पास रखी है। ऐसी आत्मा विरले जन्म लेती है। छोटी सी उम्र में बालियान खाप की पगड़ी सिर माथे पर रख दी गई थी, जिसका मर्यादा से पालन किया।

काजीखेड़ा-जागाहेड़ी के किसान रमेश चंद मलिक को दशकों चौधरी टिकैत का सानिध्य मिला। मलिक बताते है कि एटा में किसानों का धरना पंचायत थी, मुझसे बोले, बाजरे की रोटी और काली दाल खाने का मन है। एक किसान के घर व्यवस्था हो गई। जब चलने का आग्रह किया तो कहने लगे- भाई, किसानों को पंचायत में छोड़कर स्वाद की खातिर किसी के घर भोजन करने जाना सही बात नहीं, जो यहां भोजन बटेगा, वहीं खाएंगे। बाबा टिकैत किसानों के सच्चे हितैषी थे। वीतराग स्वामी कल्याणदेव का बेहद आदर करते थे। उनके बुलावे पर शिक्षा ऋषि को शुकतीर्थ से लेकर मैं सिसौली पहुंचा। करीब डेढ़ घंटे चौधरी टिकैत के घर रहे और एक रोटी खायी। उसी समय, टिकैत ने कस्बे में बालिकाओं का डिग्री कालेज वीतराग संत के नाम से खोलने की बात रखी, मगर स्वामी जी ने टिकैत की माता मुख्त्यारी देवी के नामकरण से सिसौली में डिग्री कालेज की स्थापना की।

84 वीं जयंती आज, सिसौली में होगी यज हवन

भाकियू संस्थापक स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की 84 वीं जयंती रविवार यानि आज मनाई जाएगी। तहसील स्तर पर जयंती को किसान जागृति दिवस के रुप में मनाया जाएगा। सिसौली में किसान भवन में सुबह आठ बजे यज्ञ हवन होगा। इसके बाद श्रद्घांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।

सीएम योगी ने श्रद्धांजलि दी

सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को भावभानी श्रद्धांजलि अर्पित की है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के नाम भेजे गए पत्र में सीएम योगी ने कहा कि चौधरी टिकैत ने सदैव किसानों के हितों के लिए काम किया है। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए उनके प्रयास एवं संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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