दिल्ली

मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही से दुर रखने की कोशिश की

Shiv Kumar Mishra
22 July 2021 12:31 PM GMT
मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही से दुर रखने की कोशिश की
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सिरसा में 80 वर्षीय सरदार बलदेव सिंह सिरसा का आमरण अनशन पांचवें दिन में पहुँचा, और उनका स्वास्थ्य बिगड़ चुका है

आज एक ऐतिहासिक जन आंदोलन का एक ऐतिहासिक दिन है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया गया। जैसा कि एसकेएम ने पहले ही बताया था, किसान संसद पूरी तरह से अनुशासित और व्यवस्थित रही। सुबह पुलिस ने किसान संसद के प्रतिभागियों की बस को जंतर-मंतर जाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में इसे सुलझा लिया गया। दिल्ली पुलिस ने मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही पर प्रतिवेदन करने से रोकने की भी कोशिश की, और उन्हें बैरीकेड लगा कर किसान संसद के आयोजन स्थल से बहुत दूर रोक दिया गया।

किसान संसद में किसानों ने भारत सरकार के मंत्रियों के खोखले दावों का खंडन किया कि किसानों ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि तीन कानूनों के साथ उनकी चिंता क्या है, और वे केवल अपनी निरसन की मांग पर डटे हैं। एपीएमसी बाइपास अधिनियम पर चर्चा करते हुए, किसान संसद में भाग लेने वालों ने कानून की असंवैधानिक प्रकृति, भारत सरकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, और कृषि आजीविका पर कानून के गंभीर प्रभावों के संबंध में कई बिंदु उठाए। उन्होंने दुनिया के सामने इस काले कानून के बारे में अपनी विस्तृत ज्ञान को प्रदर्शित किया, और क्यों वे पूर्ण निरसन और इससे कम कुछ नहीं पर जोर दे रहे हैं।

इस बीच, किसान संसद एक तरह से संसद की कार्यवाही के ठीक विपरीत थी। किसान आंदोलन के समर्थन में सांसदों ने आज सुबह गांधी प्रतिमा पर पार्टी लाइन से हटकर विरोध प्रदर्शन किया। वे किसानों द्वारा जारी पीपुल्स व्हिप का पालन कर रहे थे। कई सांसदों ने किसान संसद का दौरा भी किया। जैसा कि किसान आंदोलन में होता रहा है, एसकेएम नेताओं ने किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया, लेकिन सांसदों को मंच या माइक का समय नहीं दिया गया। इसके बजाय उनसे संसद के अंदर किसानों की आवाज बनने का अनुरोध किया गया।

सिरसा में सरदार बलदेव सिंह सिरसा का अनिश्चितकालीन आमरण अनशन आज पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। वे अस्सी वर्ष के हैं। उनकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति कमजोर हो गई और बिगड़ गई है। उनका वजन छह किलो कम हो गया है, और उनके बीपी और ग्लूकोज के स्तर में काफी गिरावट आई है। उन्होंने यह कहते हुए उपवास शुरू किया था कि या तो वे अपने साथियों की रिहाई सुनिश्चित करेंगे या इसके लिए अपनी जान दे देंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरदार बलदेव सिंह सिरसा को कुछ भी होने पर आंदोलन की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया की हरियाणा सरकार को चेतावनी दी और कहा कि उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा पूरी तरह से हरियाणा सरकार की जिम्मेदारी है। एसकेएम एक बार फिर मांग करता है कि गिरफ्तार किए गए युवा किसान नेताओं को अविलम्ब रिहा किया जाए, और सरकार द्वारा बिना किसी देरी के मामलों को वापस लिया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा कल गडग जिले के नरगुंड में शहीद स्मारक बैठक के बाद एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क दुर्घटना में मारे गए कर्नाटक राज्य रैयता संघ के दो वरिष्ठ नेताओं, श्री टी रामास्वामी और श्री रमन्ना चन्नापटना के प्रति गहरा सम्मान और संवेदना प्रकट करता है। एसकेएम ने कहा कि उनका निधन कर्नाटक में किसान संगठनों और किसान आंदोलन के लिए एक गहरी क्षति है।

भारत सरकार ने दालों पर लगाए गए भण्डारण की सीमा में ढील देते हुए दावा किया है कि कुछ नियामक और आयात संबंधी फैसले लिए जाने के बाद खुदरा कीमतों में कमी आई है। एसकेएम सरकार को याद दिलाना चाहता है यह ठीक उसी तरह का नियामक प्रावधान है जो कि आम नागरिकों के हित के लिये सरकार के पास होना चाहिए। एसकेएम ने कहा कि उसकी लड़ाई अविनियमन (डी-रेगुलेशन) के खिलाफ है जो किसानों और उपभोक्ताओं की कीमत पर जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों को फायदा पहुंचाती है, और अन्य दो केंद्रीय कानूनों के साथ आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 को पूर्ण रूप से निरस्त करने की अपनी मांग को दोहराया। एसकेएम ने बताया कि किसानों के आंदोलन के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून पर रोक लगाने के कारण ही सरकार ऐसे कुछ उपाय करने में सक्षम है।

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