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देश को झझकोर कर रख देने वाला श्रद्धा वालकर हत्याकांड केस में दिल्ली पुलिस कड़ी से कड़ी मिलाने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी लगातार दिल्ली पुलिस सर्च अभियान चलाकर सबूत तलाश रही है। हलांकि, करीब तीन घंटे तक जंगल की खाक छानने के बाद भी पुलिस को न तो श्रद्धा का सिर मिला और न ही वो आरी, जिससे श्रद्धा के शव के टुकड़े किए गए थे। पुलिस को लग रहा है कि आरोपित आफताब अमीन पूनावाला जांच टीम को गुमराह कर रहा है। ऐसे में दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट से आफताब का नार्को टेस्ट कराने की इजाजत मांगी, जिसे कोर्ट ने फिलहाल स्वीकार नहीं किया है। हालांकि, इससे पहले कोर्ट कई मामलों में नार्को टेस्ट की अनुमति दे चुकी है, जिससे जांच टीम को अपराध की गुत्थी सुलझाने में काफी मदद मिली। है। आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है नार्को टेस्ट ?
सबूत जुटाने में जुटी पुलिस
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक आफताब के खिलाफ सुबूत जुटाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। दो दिन से महरौली का जंगल छान रही दिल्ली पुलिस को अब तक श्रद्धा के शव के करीब 25 टुकड़े ही बरामद हुए हैं। इसमें करीब आठ घंटे की तलाशी के बाद 11 टुकड़े मंगलवार को मिले, जबकि 14 टुकड़े सोमवार को बरामद किए गए थे। सभी टुकड़ों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। हालांकि, अभी तक श्रद्धा की खोपड़ी नहींं मिली है...जिसकी वजह से पुलिस और सर्च अभियान चला रही है। पुलिस के मुताबिक ऐसे में नार्कों टेस्ट एकमात्र उपाय है, जिससे कई अहम जानकारियां निकलकर सामने आ सकती है।
क्या होता है नार्कों टेस्ट ?
एक्पर्ट के मुताबिक किसी केस में नार्कों टेस्ट तब किया जाता है,जब कोई अपराधी बार-बार झूठ बोलता है, समय-समय पर अपने बयान बदलता रहता है। इसी कड़ी में पुलिस के कोर्ट के आदेश के बाद नार्कों टेस्ट करवाती है...और अपराधी से सच उगलवाती है। बताया जाता है कि नार्कों टेस्ट होने के बाद अपराधी सच बोलने पर मजबूर हो जाता है क्योंकि एक तरह से वो बेहोश रहता है और उससे जो पूछता है..वो सच-सच बता देता है। पुलिस को कई केसों में नार्को टेस्ट से काफी मदद मिली है।
आपको बता दें कि, कुर्ला दुष्कर्म और हत्या केस, आरुषि तलवार मर्डर केस, कुर्ला दुष्कर्म और हत्या केस और हैदराबाद में हुए दो धमाके केस में कोर्ट द्वारा नार्कों टेस्ट की अनुमति मिली थी,जिससे पुलिस को गुनाह साबित करने में बहुत मदद मिली थी।