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Dev Uthani Ekadashi 2020: चार महीने बाद जागेंगे विष्णु, जानें- क्या है महत्व कैसे करें पूजा

Arun Mishra
24 Nov 2020 2:53 PM GMT
Dev Uthani Ekadashi 2020: चार महीने बाद जागेंगे विष्णु, जानें- क्या है महत्व कैसे करें पूजा
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देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और शुभ काम शुरू किए जाते हैं.

हिंदू धर्म में दीवाली के बाद देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2020) का बड़ा महत्व है. देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इसे हरिप्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल की एकादशी को निद्रा से जागते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और शुभ काम शुरू किए जाते हैं. इस बार देव उठनी एकादशी 25 नवंबर को मनाई जा रही है.

एकादशी के दिन गन्ना और सूप का महत्व

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. इस दिन गन्ने और सूप का भी खास महत्व होता है. देवउठनी एकादशी के दिन से ही किसान गन्ने की फसल की कटाई शुरू कर देते हैं. कटाई से पहले गन्ने की विधिवत पूजा की जाती है और इसे विष्णु भगवान को चढ़ाया जाता है. भगवान विष्णु को अर्पित करने के बाद गन्ने को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.

सूप पीटने की परंपरा

देवउठनी एकादशी के दिन से विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है. इस दिन पूजा के बाद सूप पीटने की परंपरा है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं. महिलाएं उनके घर में आने की कामना करती हैं और सूप पीटकर दरिद्रता भगाती हैं. आज भी यह परंपरा कायम है.

क्या है देवउठनी एकादशी का महत्व?

कहा जाता है कि इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. जब देव (भगवान विष्णु ) जागते हैं, तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है. देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी कहते हैं. इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है. कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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