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मोदी सरकार के इन कारनामों के चलते देश में हो रही है 'असहिष्णुता' !

Special News Coverage
24 Nov 2015 7:12 AM GMT
About intolerance

भारत में क्या सही में असहिष्णुता है। जिसे लेकर देश के वैज्ञानिकों, लेखकों और फिल्मकारों द्वारा भारत सरकार द्वारा दिये गये सम्मान को वापस कर विरोध जताया जा रहा है। क्या आपको नहीं लगता कि असहिष्णुता के नाम पर देश और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने वाले देशद्रोही हैं। इससे ज्यादा हिंसा, दंगे और फसाद देश में हुये तब देश असहिष्णुता नहीं थी। अब जब देश विकास की एक नई दिशा की तरफ बढ़ रहा है, देश तो छोड़िये विदेशों में भारत के प्रति आस्था बढ़ी है। तब हमारे देश के कुछ लोग कहते हैं कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है। आईये जानते है क्या कारण है कि ये लोग देश में असहिष्णुता की बात को ज्यादा हवा दे रहे हैं।

तो इस कारण है देश में असहिष्णुता
असल बात तो ये है कि देश में जितने प्रबुद्ध वर्ग हैं सब किसी ना किसी एनजीओ से जुड़े हुये हैं। एनजीओ को फॉरेन से फंडिंग होती थी जिस पर मोदी सरकार सरकार ने लगाम लगा दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने फॉरेन फंडिंग वाले एनजीओ पर शिकंजा कसना शुरू किया है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की सिफारिश पर गृह मंत्रालय यह कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने गृह सचिव एल सी गोयल को करीब सात महीने पहले चिट्ठी लिखकर जल्द से जल्द तमाम एनजीओ की फॉरेन फंडिंग की निगरानी शुरू करने को कहा था। इसके तुंरत बाद गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए - फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशंस एक्ट) नियमों की समीक्षा शुरू की। मोदी सरकार के इस अभियान का मकसद पारदर्शिता को बढ़ावा देना और निगरानी तेज करना होगा। आपको बता दें कि एफसीआरए रूल्स, 2011 को पिछली यूपीए सरकार की तरफ से लाया गया था और एफसीआरए ऐक्ट 2010 में बना था। अब इन नियमों को और सख्त बनाया जा रहा है।

एफसीआरए ऐक्ट में क्या हुआ बदलाव
प्रस्तावित बदलावों के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एनजीओ इकाइयों को 48 घंटे के भीतर फॉरेन फंडिंग के बारे में जानकारी देनी पड़ सकती है। अधिकारी ने बताया, 'एनजीओ के लिए ऐसी वेबसाइट रखनी जरूरी होगी, जहां फॉरेन फंड हासिल करने के 48 घंटे के भीतर इसकी जानकारी आम लोगों के लिए मुहैया करानी होगी।' सूत्रों के मुताबिक, इसके तहत फंड के स्रोत, फंड किस मकसद के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे और खास प्रोजेक्ट में पार्टनर एनजीओ के डिटेल के बारे में भी जानकारी होगी।' अधिकारी का कहना था कि पिछले साल की ऑडिट रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किए जाने की बात है।

नए उपायों में 'निगरानी' के हिस्से के तहत सरकार को चेकिंग और इंस्पेक्शन के जरिये एनजीओ संस्थानों पर करीबी नजर रखने की इजाजत होगी। गृह मंत्रालय विस्तार से निगरानी से जुड़ा सिस्टम तैयार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया, 'हर एनजीओ को उन मानकों के बारे में पता होगा, जिनके आधार पर इंस्पेक्शन किया जाएगा।'

फॉरेन फंडिंग को लेकर इन NGOs पर हुई है करवाई
भारत सरकार के 'निगरानी' के पहलू पर इंटेलिजेंस ब्यूरो की सिफारिश एनजीओ के एफसीआरए ऐक्ट और एफसीआरए नियमों के दुरुपयोग से जुड़े मामले सामने आये। जिससे मोदी सरकार के आलोचक एनजीओ की फॉरेन फंडिंग की सख्ती को लेकर सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी एनजीओ में से एक फोर्ड फाउंडेशन को गृह मंत्रालय ने निगरानी वाले एनजीओ की की सूची में डाल दिया है और अब इसके हर फॉरेन डोनेशन की जांच हो रही है।वहीं गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस इंडिया का पंजीकरण रद्द कर दिया था। इन सब घटनाक्रम के बाद देश के प्रबुद्ध वर्ग, अभिनेता और अन्य लोगों ने देश में 'असहिष्णुता' को हवा दे दी।
नोट - लेखक के ये निजी विचार हैं
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