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'आदिपुरुष' के डायलॉग की आलोचना पर राइटर मनोज मुंतशिर ने तोड़ी चुप्पी, दिया चौकानें वाला बयान

Arun Mishra
17 Jun 2023 11:10 AM GMT
आदिपुरुष के डायलॉग की आलोचना पर राइटर मनोज मुंतशिर ने तोड़ी चुप्पी, दिया चौकानें वाला बयान
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अब इस विवाद के बीच डायलॉग्स के लेखक मनोज मुंतशिर ने बड़ा बयान दे दिया है.

प्रभास (Prabhas) और कृति सेनन (Kriti Sanon) की फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) 16 जून शुक्रवार को रिलीज हो चुकी है. इसी के साथ फिल्म को लेकर विवादों ने फिर से जोर पकड़ लिया है. किरदारों के लुक्स पर तो बवाल काफी समय से मच ही रहा है, लेकिन अब फिल्म की रिलीज के बाद इसके डायलॉग्स ने भी दर्शकों को हैरान कर दिया है. खासतौर भगवान हनुमान के किरदार के लिए जिस तरह के डायलॉग्स लिखे गए उन पर लोग भड़के हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि, अब इस विवाद के बीच डायलॉग्स के लेखक मनोज मुंतशिर ने बड़ा बयान दे दिया है.

जानबूकर लिखे ऐसे डायलॉग्स- मनोज

एक मीडिया चैनल से बात करते हुए मनोज ने अपनी सफाई दी है. उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि आखिर क्यों इस तरह के डायलॉग्स लिखे गए हैं. मनोज ने कहा कि फिल्म में डायलॉग्स जानबूझकर इस तरह के लिखे गए हैं, ताकि लोग इसके साथ कनेक्ट हो पाएं. उनका कहना है कि सभी के डायलॉग्स पर बात की जानी चाहिए, सिर्फ हनुमा के डायलॉग्स पर क्यों बात हो रही है?

मनोज ने कहा, 'हमें भगवान श्रीराम के संवाद पर भी बात करनी चाहिए. हम माता सीता के संवाद पर भी बात करते सकते हैं, जिसमें वह रावण की अशोक वाटिका में बैठकर उसे चुनौती देते हुए कहती हैं- 'रावण तेरी लंका में अभी इतना सोना नहीं है कि जानकी का प्रेम खरीद सके.' आखिर क्यों इन संवादों पर बात नहीं की जा रही है?'

मनोज मुंतशिर ने आगे कहा, 'ऐसे डायलॉग्स जानबूझ कर लिखे गए हैं. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. बजरंगबली के डायलॉग एक प्रक्रिया से गुजरकर तैयार किए गए हैं. हमने इन्हें बहुत सरल रखा है. एक फिल्म में बहुत सारे किरदार हैं और हर किरदार एक ही भाषा में बात नहीं कर सकता है. इसलिए कुछ अलग होना जरूरी है और इसी बात को ध्यान में रखकर ऐसे डायलॉग्स लिखे हैं.'

अपनी ही भाषा में सुनाते हैं लोग कथा- मनोज

मनोज मुंतशिर ने अपना सफाई पेश करते हुए आगे कहा, 'हम रामायण को कैसे जानते हैं? रामायण वो ग्रंथ है, जिसे हम बचपन से सुन रहे हैं. मैं एक छोटे से गांव से हूं. हमारी दादी-नानी अपनी भाषा में हमें कथा सुनाया करती थीं. अब जिस तरह के डायलॉग्स मैंने लिखे हैं, इस देश के बड़े-बड़े संत और कथावाचक उन्हें ऐसे से बोलते हैं. इसलिए भी कहीं से गलत नहीं है.'

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