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मुंबई में शैलेन्द्र के नाम पर हुआ चौक का नामकरण

सुजीत गुप्ता
30 Aug 2021 2:34 PM GMT
मुंबई में शैलेन्द्र के नाम पर हुआ चौक का नामकरण
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किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, जैसी पंक्तियां लिखने वाले शैलेन्द्र हो गए गुमनाम

प्रसून लतांत

"हर जोर जुलम के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है" जैसे कालजयी नारे और "किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है " जैसे विश्व प्रसिद्ध गीत लिखने वाले गीतकार शैलेन्द्र की आज 30 अगस्त को जयंती है। शैलेन्द्र अपने समय के महत्वपूर्ण गीतकार थे, जिनके लिखे गीत न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मशहूर हैं। उनके गीतों की दम पर ही "आवारा" जैसी फिल्मों को वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता हासिल हुई। लेकिन उनके योगदान की हमेशा अनदेखी हुई और आज तक केन्द्र या राज्य सरकारों ने उन्हें कोई छोटा-सा पुरस्कार भी नहीं दिया, जबकि वे दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और यहाँ तक कि भारत रत्न के हकदार हैं।

ऐसे में आज का दिन खुशी का दिन है क्योंकि शैलेन्द्र के 98वें जन्म दिन पर मुंबई में एक चौराहे का नाम कविराज शैलेन्द्र चौक रखा गया है। प्रसिद्ध गीतकार इरशाद कामिल ने कहा है कि यह मेरे लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण गीतकार समुदाय के लिए बड़े गर्व का विषय है।


बिहार के आरा जिले के धुसपुर गांव के दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले शैलेन्द्र का असली नाम शंकरदास केसरीलाल था। उनका जन्म 30 अगस्त, 1921 को रावलपिंडी (जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है) में हुआ था, जहां उनके पिता केसरीलाल राव ब्रिटिश मिलिटरी हॉस्पिटल (जो मूरी केंटोनमेंट एरिया में था) में ठेकेदार थे। शैलेन्द्र का अपने गांव से कोई ख़ास जुडाव नहीं रहा क्योंकि वे बचपन से अपने पिता के साथ पहले रावलपिंडी और फिर मथुरा में रहे। उनके गांव में ज्यादातर लोग खेतिहर मजदूर थे।

प्रसिद्ध पत्रकार और चिंतक दिलीप मंडल ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि महाकवि शैलेंद्र, पहला और आख़िरी गीतकार, जिनका नाम पोस्टर पर देखकर लोग सिनमा का टिकट ख़रीदते थे। हर हीरो और हीरोइन की फ़रमाइश रहती थी कि उनके लिए गीत शैलेंद्र लिखें। एक और बात, आज तक किसी और गीतकार ने इतने टाइटिल सॉन्ग नहीं लिखे। दिलीप मंडल ने फेसबुक पर उनके एक प्रसिद्ध गीत को पेश किया है,जो उनको बहुत पसंद है।

दिल का हाल सुने दिलवाला

फिल्म - श्री 420 (1955)

संगीत: शंकर-जयकिशन

गीत कार: शैलेन्द्र

गायक: मन्ना डे

दिल का हाल सुने दिलवाला

सीधी सी बात न मिर्च मसाला

कहके रहेगा कहनेवाला

दिल का हाल सुने दिलवाला

छोटे से घर में गरीब का बेटा

मैं भी हूँ माँ के नसीब का बेटा

रन्ज-ओ-ग़म बचपन के साथी

आँधियों में जली जीवन बाती

भूख ने हैं बड़े प्यार से पाला

दिल का हाल...

हाय करूँ क्या सूरत ऐसी

गांठ के पूरे चोर के जैसी

चलता फिरता जान के एक दिन

बिन देखे-पहचान के एक दिन

बांध के ले गया पुलिसवाला

दिल का हाल...

बूढ़े दरोगा ने चश्मे से देखा

आगे से देखा, पीछे से देखा

ऊपर से देखा, नीचे से देखा

बोला ये क्या कर बैठे घोटाला

हाय ये क्या कर बैठे घोटाला

ये तो है थानेदार का साला

दिल का हाल...

ग़म से अभी आज़ाद नहीं मैं

ख़ुश हूँ मगर आबाद नहीं मैं

मंज़िल मेरे पास खड़ी है

पाँव में लेकिन बेड़ी पड़ी है

टांग अड़ाता है दौलतवाला

दिल का हाल...

सुन लो मगर ये किसी से न कहना

तिनके का ले के सहारा न बहना

बिन मौसम मल्हार न गाना

आधी रात को मत चिल्लाना लाना

वरना पकड़ लेगा पुलिसवाला

दिल का हाल...

शैलेन्द्र कभी भी नहीं भुलाए जा सकते। प्रसिद्ध आलोचक डॉ नामवर सिंह ने कहा था कि शैलेन्द्र महाकवि रविदास के बाद सबसे बड़े कवि थे। एंटिजन टेस्ट प्रतिदिन किया जा रहा है। अभी तक कुल 8,36,805 लोगों का कोरोना जांच किया गया जिसमें से 14,373 लोग पॉजिटिव पाए गए है। इस महामारी में मुंगेर जिले में कुल 134 लोगों की मृत्यु हुई है। आज मुंगेर जिले को कोरोना मुक्त होना गर्व की बात है। बिहार का प्रथम केस मुंगेर से ही रहने के बावजूद आज विजय की प्राप्ति हुई है। कोरोना मुक्त होने के बावजूद जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जांच में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं की जा रही है ताकि एक भी केस आने पर त्वरित कार्रवाई की जा सके।

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