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संजय दत्त और अजय देवगन के साथ पर्दे पर दिखेंगे यूपी पुलिस के अफसर अनिरुद्ध सिंह

Arun Mishra
7 Aug 2020 10:06 AM IST
संजय दत्त और अजय देवगन के साथ पर्दे पर दिखेंगे यूपी पुलिस के अफसर अनिरुद्ध सिंह
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अनिरुद्ध 2019 में प्रोन्नत होकर सीओ बने हैं

आने वाले दिनों में रिलीज होने वाली बॉलीवुड फिल्म भुज द प्राइड ऑफ इंडिया में सिने अभिनेता संजय दत्त और अजय देवगन के साथ जिले में तैनात एक पुलिस अधिकारी भी रूपहले पर्दे पर अभिनय करते दिखेंगे। पुलिस अधिकारी और कोई नहीं बल्कि द रेड लैंड मूवी में किरदार निभा चुके पुलिस उपाधीक्षक अनिरुद्ध सिंह हैं। मौजूदा वक्त में उझानी सर्किल की कमान संभालने वाले अनिरुद्ध सिंह की इस मूवी का उनके परिजनों और परिचितों से लेकर पुलिस महकमे को भी बेसब्री से इंतजार है।

रील लाइफ में अभिनय के साथ रियल लाइफ में कानून व्यवस्था बनाए रखना और पीड़ितों को न्याय दिलाना जैसा काम करना वाकई हर किसी के बस की बात नहीं। एक अनुशासित बल में रहकर इस मुकाम तक पहुंचने वाले सीओ अनिरुद्ध सिंह मूलरूप से जिला जालौन के कस्बा कौच के रहने वाले हैं। फोटग्राफी समेत साहित्य का शौक रखने वाले अनिरुद्ध अभिनय का भी शौक है। आने वाले दिनों में रिलीज होने वाली फिल्म भुज में उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। साल 1971 की लड़ाई में हुई घटना पर आधारित इस फिल्म में वह संजय दत्त के छोटे भाई महादेव पगी की भूमिका में दिखे हैं। संजय दत्त ने रणछोड़दास पगी की भूमिका निभाई है। वैसे तो फिल्म अगस्त में ही रिलीज होना थी लेकिन लॉकडाउन के चलते अब सितंबर में यह फिल्म हॉटस्टार पर दिखेगी।


2001 में हुए थे भर्ती

साल 2001 बैच में एसआई के पद पर भर्ती हुए अनिरुद्ध सिंह 2010 में इंस्पेक्टर बन गए। विभाग में दस्यु सरगनाओं समेत शातिर अपराधियों के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाने वाले अनिरुद्ध 2019 में प्रोन्नत होकर सीओ बने हैं। फिल्मों में उन्हें अभिनय शौक रहा है, जिसे वह ड्यूटी के साथ पूरा कर रहे हैं।

अधिकारियों का भी मिलता है सहयोग

बकौल अनिरुद्ध फिल्मी इंडस्ट्री अब काफी बदल चुकी है। पहले एक फिल्म बनाने में छह महीने से सालभर तक लग जाती थी लेकिन अब फिल्म अधिकतम तीन महीने में बन जाती है। एक-एक दिन में तीन से चार शॉट भी पूरे हो जाते हैं। सब कुछ डिजिटल है, स्टूडियो में ही सारी सुविधाएं मिल जाती हैं। फिर चाहें गुजरात का गांव बनाना हो या फिर देश का बार्डर। आधुनिकीकरण होने के बाद कुछ भी असंभव नहीं रह गया है। पहले देहात का सीन करने के लिए गांव में जाना, वहां के लोगों को रोकना और संबंधित थानों की पुलिस से सहयोग लेना आदि करना पड़ता था लेकिन अब तकनीक के जरिए सब कुछ स्टूडियो में ही मिल जाता है। रही बात ड्यूटी की तो शूटिंग के लिए अधिकारी भी उन्हें समय-समय पर अवकाश देने से मना नहीं करते।

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