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एकता कपूर का नाम पिछले एक दशक का सबसे गलत चयन है...!

Arun Mishra
26 Feb 2021 8:16 AM GMT
एकता कपूर का नाम पिछले एक दशक का सबसे गलत चयन है...!
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रागिनी MMS, क्या कूल हैं हम, LS&D, ग्रेट ग्रैंड मस्ती और फिर ALT BALAJI ने तो भाषायी गरिमा और संबंधों की मर्यादाओं की सारी सीमाएं ही तार-तार कर दी

कल जब रविशंकर प्रसाद जी अपनी प्रेस कांफ्रेंस में OTT पर महिलाओं के खिलाफ आ रहे आपतिजनक कंटेंट पर चिंता व्यक्त करते हुए थ्री स्टेज सर्टिफिकेट को इंट्रोड्यूस कर रहे थे, तब सबसे ज्यादा अपराधबोध उस 'पद्मश्री' सम्मान को हो रहा होगा जो एकता कपूर के घर की शोभा बढ़ाएगा।

रागिनी MMS, क्या कूल हैं हम, LS&D, ग्रेट ग्रैंड मस्ती और फिर ALT BALAJI ने तो भाषायी गरिमा और संबंधों की मर्यादाओं की सारी सीमाएं ही तार-तार कर दी। फिल्मों और OTT पर महिलाओं की गरिमा को सबसे निचले स्तर पर ले जाने में एकता कपूर जब हर बार नए मानक तय कर रही थीं, तभी उनको 'पद्मश्री' सम्मान की घोषणा हुई और इस सम्मान के मिलने के बाद ही उन्होंने एक ऐसी वेब सीरीज को फिर से अपना प्लेटफॉर्म दे दिया जिसमे एक स्त्री भारतीय सेना की ड्रेस में खड़े व्यक्ति की ड्रेस फाड़ देती है और जरुरी बात ये है कि ऐसा वो किसी गुस्से में नहीं करती ..

जब रविशंकर प्रसाद जी कल 'महिलाओं से जुड़े आपतिजनक कंटेंट को 24 घंटे में हटाने को कह रहे थे, तब वो 'पद्मश्री' सम्मान भी हतप्रभ होगा जो कभी जीतेन्द्र जी को तो नहीं मिला लेकिन एकता के पास है। जब अपराधियों के नाम सामने हों तो उन पर सीधी टिप्पणी करके भी हम कई समस्याओं को सुलझाने में अपना आंशिक योगदान दे सकते हैं। अगर आज पूरे OTT प्लेटफ़ॉर्म पर ऊँगली उठनी शुरू हुई है तो इसके पीछे एक बड़ी वजह एकता कपूर हैं। एकता ने जिस तरह से OTT पर सेंसर के लूप होल्स का फायदा उठाया, उसने भारत में पोर्न मार्केट को फिर से जिन्दा कर दिया। एकता कपूर की शुरू की हुई परिपाटी में बेतरतीब गालियाँ, निरर्थक गुस्सा और वेब सीरिज में आ रहे अनावश्यक अंधेरों ने 'पंचायत' और 'स्कैम 1992' जैसी सार्थक सीरीज को ना केवल पीछे धकेल दिया बल्कि OTT को सिर्फ नुकसान ही पहुँचाया।

स्त्रियां तो विजय का अंतिम नाद होती हैं लेकिन उन्हें अपनी फिल्मों में सिर्फ लाईट ऑन-ऑफ के बीच समेटती हुई एकता कपूर जब भी अपने 'पद्मश्री' और 'गन्दी बात' के review को देखती होंगी तो कहीं ना कहीं कोई ना कोई तो कहता ही होगा कि एकता कपूर का नाम राष्ट्रीय पुरस्कारों में पिछले एक दशक का सबसे गलत चयन है।

- रुद्र प्रताप दुबे, लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं.

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