
क्या आपको पता है कि भगवान राम पर बनी एक अकेली ऐसी मूवी थी जिसे देखा था राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने

Film on Ramayan: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मन में फिल्मों के प्रति बिल्कुल भी उत्साह नहीं था. वह केवल समाज कल्याण में ही लगे रहते थे. वह फिल्मों के समाज पर प्रभाव को लेकर भी काफी चिंतित रहते थे.अपने जीवन काल में उन्होंने दो ही फिल्में देखी थी पहली फिल्म एक अमेरिकी फिल्म थी जबकि दूसरी भारत में बनी मूक फिल्म. जिसका संबंध भगवान श्री राम से था...
Ramayan: जैसा कि सभी जानते हैं कि आजकल रामायण पर बनी फिल्म आदि पुरुष हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई है. यह फिल्म अपने ट्रेलर से लेकर रिलीज होने तक लगातार विवादों में बनी रही है. अब जब यह फिल्म रिलीज हो गई है तब भी यह विवादों का हिस्सा है इससे यह बात तो साफ हो गई है कि भारतीयों के मन में सदियों पुरानी उनकी आस्था अभी तक नहीं बदली है. यही वजह है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौर मैं फिल्मों को खास तवज्जो ना देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी अपने जीवन में देश में बनी एकमात्र फिल्म देखी थी.यह भगवान राम की कहानी थी यह फिल्म 1943 में सिनेमाघरों में आई थी. इसके निर्देशक विजय भट्ट फिल्म रामराज्य बनाई थी जिसको 80 साल हो गया है.इस फिल्म को महात्मा गांधी ने 1945 में देखा था महात्मा गांधी जब मुंबई आए थे तब उन्होंने इस फिल्म को देखा था.
ये थे राम और सीता
विजय भट्ट की राम राज्य में प्रेम आदिब (Prem Adib) और शोभना समर्थ (Shobhna Samarth) भगवान राम (Lord Ram) तथा देवी सीता (Goddess Sita) की भूमिका में थे. इससे साल भर पहले बापू ने केवल अंग्रेजी फिल्म मिशन टू मॉस्को (Mission To Moscow) देखी थी. मिशन टू मॉस्को एक अमेरिकी अंबेसडर के रूस में काम करने के अनुभवों पर लिखी किताब पर आधारित थी. बताया जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन काल में केवल दो ही फिल्में देखी थी.1940 के दौर में भगवान राम के रोल में प्रेम अदीब बेहद लोकप्रिय हुए थे.उन दिनों व पहाड़ी सान्याल, अशोक कुमार,पीसी बरुआ मास्टर विनायक जैसे अभिनेताओं के बराबर ही माने जाते थे. 25 साल के करियर में उन्होंने 7 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था
मिले सिर्फ 40 मिनिट
अदीब को भरत मिलाप (1942) में भगवान राम के रूप में उनकी भूमिका के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है. भरत मिलाप (1942) और राम राज्य (1943) में राम की भूमिका निभाने के बाद प्रेम अदीब लोकप्रिय हो गए. इसके बाद वह शोभना समर्थ के साथ रामबाण 1948 में भी राम बनकर आए थे.विजय भट्ट से रामराज्य के पहले भी गांधी जी से मुलाकात होती रही थी और उन्होंने बापू के कहने पर ही नरसी मेहता पर फिल्म बनाई थी. नरसी मेहता का भजन वैष्णव जन तो... गांधीजी का पसंदीदा भजन था. विजय बटवा फिल्म महात्मा गांधी को नहीं दिखा पाए थे.तब से उनके मन में था कि अपनी कोई फिल्म वह राष्ट्रपिता बापू को जरूर दिखाएंगे. 1945 में उन्हें पता चला कि गांधीजी जुहू में शांति कुमार मोरारजी के घर आए हुए हैं तब उन्होंने गांधी की सचिव श्रीमती सुशीला नायर से मुलाकात करके गांधी को फिल्म दिखाने के लिए समय निकालने को कहा. उन्हें तब फिल्म दिखाने के लिए केवल 40 मिनट का समय मिला था.
गांधी का राम राज्य
जब राम राज्य शुरू हुई तो गांधीजी इस फिल्म में इतना ज्यादा खो गए कि उन्हें 90 मिनट से अधिक समय तक रुकना पड़ा. खास बात यह है कि गांधीजी का मौन व्रत था लेकिन अंत में उन्होंने प्रशंसा में भट्ट की पीठ थपथपाई रामराज्य 1943 में तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी। यह पहली भारतीय फिल्म थी जिसका अमेरिका में प्रीमियर हुआ था।महात्मा गांधी को यह पसंद आई थी कि अक्सर धार्मिक लोकतांत्रिक शासन पर जोर देने के लिए रामराज्य का हवाला दिया जाता है