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फिल्ममेकर मृणाल सेन का निधन, मिथुन चक्रवर्ती को इस फिल्म से किया था लांच
नई दिल्ली : बांग्ला फिल्मों के मशहूर फिल्ममेकर मृणाल सेन का निधन हो गया है। वो 95 साल के थे। साल 2005 में भारत सरकार ने उनको 'पद्म विभूषण' और 2005 में 'दादा साहब फाल्के' अवॉर्ड से सम्मानित किया था। 1955 में मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म 'रातभोर' बनाई। उनकी अगली फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' ने उनको स्थानीय पहचान दी और उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उनको इंटरनेशनल पहचान दिलाई। उनकी अधिकतर फ़िल्में बांग्ला भाषा में है। मृणाल ने फेमस बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को फिल्मों में लॉन्च किया था। जिसके लिए मिथुन को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।
मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 में फरीदपुर नामक शहर में (जो अब बांग्ला देश में है) में हुआ था। हाईस्कूल की परीक्षा पास करने बाद उन्होंने शहर छोड़ दिया और कोलकाता में पढ़ने के लिये आ गये। वह भौतिक शास्त्र के विद्यार्थी थे और उन्होंने अपनी शिक्षा स्कोटिश चर्च कॉलेज़ एवं कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पूरी की। अपने विद्यार्थी जीवन में ही वे वह कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक विभाग से जुड़ गये। यद्यपि वे कभी इस पार्टी के सदस्य नहीं रहे पर इप्टा से जुड़े होने के कारण वे अनेक समान विचारों वाले सांस्कृतिक रुचि के लोगों के परिचय में आ गए| 1998 से 2003 तक वे कम्युनिष्ट पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए भी नॉमिनेट किए गए।
पांच और फिल्में बनाने के बाद मृणाल सेन ने भारत सरकार की छोटी सी सहायता राशि से 'भुवन शोम' बनाई, जिसने उनको बड़े फिल्मकारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया और उनको राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्रदान की। 'भुवन शोम' ने भारतीय फिल्म जगत में क्रांति ला दी और कम बजय की यथार्थपरक फ़िल्मों का 'नया सिनेमा' या 'समांतर सिनेमा' नाम से एक नया युग शुरू हुआ। मृणाल दा ने 80 साल की उम्र में 2002 में अपनी आखिरी फिल्म आमार भुवन बनाई थी।.
साल 2000 में उन्हें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा फ्रांस सरकार ने उनको "कमान्डर ऑफ द ऑर्ट एंडलेटर्स" की दी और रशियन सरकार ने "ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप" सम्मान दिया। साहित्य के लिए नोबेल प्राप्त लेखक गैब्रियल गार्सिया मार्खेज उनके खास मित्रों में से हैं। मृणाल दा ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रतिस्पार्धाओं में जज/ ज्यूरी की भूमिका निभाई है। कांस को वे अपना दूसरा घर बताते रहे हैं।