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महाराष्ट्र में सत्ता पलट होते ही उड़ जाएंगे 'गिद्ध'

महाराष्ट्र में सत्ता पलट होते ही उड़ जाएंगे गिद्ध
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प्रकृति में हर तरह के जीव हैं, जिनमें से एक बेहद दिलचस्प जीव है गिद्ध। यूं तो गिद्ध अब कम ही दिखाई पड़ते हैं लेकिन किसी जीव की मौत होते ही वे न जाने कहाँ से अचानक वहां बड़ी तादाद में आ धमकते हैं। वहां आकर लाश को नोच-नोच कर बड़े ही चाव से खाने के बाद कंकाल को छोड़कर फिर वे शायद किसी और लाश की तलाश में निकल जाते हैं।

सुशांत की मौत होते ही बॉलीवुड से कंगना रनौत, वकील इशकरण भंडारी, पत्रकार अर्नब गोस्वामी, डॉक्टर सुब्रमन्यम स्वामी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके ही निर्देश पर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय सुशांत को न्याय दिलाने की मुहिम के लिए आ पहुंचे थे। इसके बाद, मोदी-शाह भी सीबीआई/NCB, ED आदि को लेकर इसी झुंड की कमान संभालने आ गए थे।

कंगना रनौत ने सुशांत के लिए न्याय मांगने के बहाने महेश भट्ट, करण जौहर और आदित्य पंचोली आदि से नेपोटिज्म को लेकर चल रही अपनी बरसों पुरानी लड़ाई को हवा देनी शुरू कर दी। इसी पिनक में वह ठाकरे परिवार से भी भिड़ गईं। जाहिर है, इसका फायदा उन्हें मिला और बीजेपी से जुड़े फिल्मी कलाकार और नेता कंगना के पीछे आ खड़े हुए। हिमाचल सरकार ने भी उनका समर्थन कर दिया। सुशांत को न्याय मिले न मिले लेकिन करण जौहर, महेश भट्ट, आदित्य पंचोली आदि उनके शत्रु जरूर मीडिया और जनता के निशाने पर आ गए, साथ ही कंगना के लिए बीजेपी के मंच से नेतागिरी करने का एक नया करियर भी तैयार हो गया।

उधर, बिहार में नीतीश कुमार ने अपने खिलाफ बह रही एन्टी इनकम्बेंसी की बयार का रुख सुशांत के लिए न्याय की मुहिम में बिहार पुलिस को भेज कर व बाद में सीबीआई की संस्तुति करके मोड़ दिया। सुशांत को लेकर देशभर में उमड़ रही जनभावनाओं को अपने पक्ष में दुहने में नीतीश भी कामयाब रहे।

उनके ही परम शिष्य यानी बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने भी सुशांत को न्याय दिलाने में जो तलवार भांजी, उसका फायदा लेने के लिए वह भी फिलहाल डीजीपी पद से त्यागपत्र देकर पांडेय जी भी नीतीश के साथ इस चुनाव में सत्ता की मलाई खाने निकल पड़े हैं।

सबसे बाद में सुशांत के शव पर न्याय दिलाने के नाम पर आए मोदी-शाह के बारे में भी सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि उन्होंने NCB के जरिये पूरे मामले को ड्रग एंगेल देकर हत्या की जांच कर रही सीबीआई को चुपचाप अपने मिशन पर लगा दिया है। इसके नतीजे भी दिखने लगे हैं। पहले रिया के वकील सतीश मानशिन्दे ने ड्रग्स का मामला NCB से लेकर उस सीबीआई से करवाने की कोर्ट में गुहार लगा कर सबको चौंका दिया, जिस सीबीआई के आने भर से पहले खुद रिया और उसके मददगार ठाकरे परिवार के पसीने छूट रहे थे। यही नहीं, सीबीआई ने जांच भी अब लगभग ठंडे बस्ते में डाल दी है और एम्स की रिपोर्ट या एम्स के बोर्ड के साथ मीटिंग में उसकी कोई रुचि अब नहीं दिख रही।

यही नहीं, खुद ठाकरे परिवार भी अब घुटने पर आता दिख रहा है। ठाकरे परिवार के सेनापति संजय राउत ने कल ही भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से दो घंटे अकेले में वार्ता की। कहा जा रहा है कि बिहार चुनाव में मतदान होते ही महाराष्ट्र में फिर भाजपा की सरकार आ जायेगी और ठाकरे परिवार हमेशा के लिए भाजपा की शरण में आ जायेगा।

इसी तरह रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी की भी लॉटरी इसी सुशांत मामले में न्याय की गुहार का मजमा लगाने के नाम पर लग चुकी है। उनका रिपब्लिक टीवी केवल इसी मामले को उठाकर देश का नंबर वन चैनल बन चुका है और आज तक की दशकों पुरानी बादशाहत को उसने ध्वस्त करके ताज अपने सर पर रखवा दिया है। वकील इशकरण भंडारी और डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी भी इसी मामले में कई महीनों से लगातार हेडलाइन में बने रहे हैं।

यानी, अगर यह कहा जाए कि न्याय दिलाने के नाम पर सुशांत की लाश के इर्दगिर्द मंडरा रहे कंगना, नीतीश, गुप्तेश्वर पांडे और मोदी-शाह, इशकरण भंडारी और डॉक्टर स्वामी को अब तक बहुत कुछ मिल चुका है। यदि सुशांत को न्याय न मिला और जल्द ही ये सभी लोग इस मुद्दे को भूल कर या इस पर अपनी यह मुहिम को धीमा करके किसी और मुद्दे पर ऐसी ही तेजी दिखाते हुए नजर आएं तो आप प्रकृति के इस अद्भुत जीव गिद्ध को जरूर याद करिएगा। अब असली गिद्ध तो विलुप्त होने लगे हैं लेकिन हम-आप गिद्धों की इस खूबी को भूल न जाएं इसलिए शायद प्रकृति ने इंसानों को गिद्धों की इस खूबी से नवाजना शुरू कर दिया है... किसमें यह खूबी है या नहीं है, यह फैसला आपको करना है...

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

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