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गुजरात चुनाव: क्या नई सरकार बनने के बाद बिलकिस बानो को मिलेगा न्याय?, पढ़िए

बादल सरोज
16 Nov 2022 11:30 AM GMT
गुजरात चुनाव: क्या नई सरकार बनने के बाद बिलकिस बानो को मिलेगा न्याय?, पढ़िए
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गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले है…और चुनाव बिलकिस बानो का जिक्र ना हो….ऐसा हो ही नहीं सकता है। दरअसल, बिलकिस बानो गैगरेप मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई बड़ा मुद्दा बना हुआ है…जहां कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सरकार बनने पर बिलकिस बानो केस में न्याय देने की बातकर रही है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी इस टॉपिक पर कुछ नहीं बोल रही है। आपको बता दें कि बिलकिस बानो दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली है, जो लिमखेड़ा विधानसभा में आता है। फिलहाल ये सीट बीजेपी के कब्जे में है। माना जा रहा है कि बिलकिस बानो को लेकर कांग्रेस पार्टी के वादे से पार्टी को बड़ा फायदा होने वाला है।

बिलकिस बानो को मिलेगा न्याय !

हालांकि, लिमखेड़ा इलाके के रहने वालों लोगों का मानना है कि बिलकिस बानो कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। क्योंकि पहले और अब के माहौल में बहुत कुछ बदल गया है। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शांति से रह रहे हैं। आपको बता दें कि गुजरात की 182 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है…इस बार यहां दो चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे. पहले चरण में 89 सीटों पर 1 दिसंबर, तो दूसरे चरण में.. तो दूसरे चरण में 93 सीटों पर 5 दिसंबर को वोटिंग होगी, जबकि गुजरात चुनाव के नतीजे हिमाचल प्रदेश के साथ ही 8 दिसंबर को आएंगे.

गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में सजा काट रहे सभी 11 अभियुक्त रिहा कर दिए गए हैं। दरअसल, गुजरात सरकार की तरफ से माफ करने के बाद 15 अगस्त को जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को गोधरा उप कारागर से छोड़ दिया गया था।

कानून क्या कहता है ?

कानून के जानकारों बताते हैं कि किसी दोषी को उम्रकैद की सजा होने पर उसे कम से कम 14 साल की सजा जेल में काटनी होती है, जिसके बाद दोषी माफी की गुहार लगा सकता है। दोषी के व्यवहार और अपराध की प्रकृति की समीक्षा के आधार पर सरकार फैसला लेती है कि दोषी को रिहा करना है या सजा जारी रखनी है। हालांकि 14 साल का प्रावधान हल्के अपराध के दोषियों पर ही लागू होता है। संगीन मामलों में दोषी को आजीवन कारावास का दंड पूरा करना होता है।

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