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आ गया गुजरात मॉडल, दीवार से ढक रहे हैं गरीबी..

अरुण दीक्षित
28 Dec 2022 6:04 AM GMT
आ गया गुजरात मॉडल, दीवार से ढक रहे हैं गरीबी..
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गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव के बाद एमपी में अचानक "गुजरात मॉडल" की चर्चा शुरू हो गई थी। हर कोई मान रहा है कि देर सबेर एमपी में भी गुजरात मॉडल लागू होगा।जिस मॉडल का लोगों को इंतजार है, वह तो अभी तक एमपी नही आया है।लेकिन एक दूसरा गुजरात मॉडल एमपी पहुंच गया है।यह मॉडल है गरीब और गरीबी को दीवार से ढकने का वाला मॉडल!इसके तहत गरीब के घर के आगे सुंदर दीवार बना कर उसे "अमीर" बनाया जाता है।यह सुंदर दीवार गंदगी, गंदी बस्ती,गरीबी और गरीबी के साथ साथ सरकार का घिनौना चेहरा भी ढक लेती है।

एमपी की सरकार ने गुजरात के इस सुपर सक्सेस मॉडल को प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में लागू किया है।

आइए पहले आपको गुजरात के गरीबी ढकने वाले मॉडल के बारे में बताते हैं।आपको याद होगा कि अमेरिका में एक राष्ट्रपति हुआ करते थे!नाम था डोनाल्ड ट्रंप!वे अपने गुजरात मॉडल के जनक और नए "राष्ट्रपिता" के प्रिय सखा बताए जाते थे।फरबरी 2020 में वे भारत के दौरे पर आए थे।चूंकि ट्रंप साहब अपने हुजूर के जैसे ही थे इसलिए उन्हें अहमदाबाद घुमाना जरूरी था।स्वागत ऐतिहासिक हो!इसकी पूरी व्यवस्था हुजूर ने कराई थी।

इतिहास में दर्ज है कि 24 फरबरी 2020 को अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में एक विशाल रैली आयोजित की गई थी।इस रैली में हुजूर के साथ साथ लाखों गुजरातियों ने ट्रंप से पूछा था - केम छो ट्रंप!हिंदी में बोले तो कैसे हो ट्रंप!

ट्रंप की स्वागत रैली से पहले जब हुजूर ने एयरपोर्ट से स्टेडियम तक के रास्ते को देखा तो उन्हें हासोल सर्कल में बसी झुग्गी बस्ती फिर नजर आई।उन्हें ऐसा लगा कि जैसे उनके लखटकिया सूट पर दाग लगा हो।हालांकि इससे पहले जापान के शिंजो आबे और चीन के शी जिनपिंग के अहमदाबाद दौरे के समय भी वह बस्ती उन्हें दिखी थी।लेकिन तब हरे पर्दे की दीवार से उसे ढक कर काम चला लिया गया था।चूंकि इस बार बाल सखा दोलान्द आ रहे थे इसलिए कुछ स्थाई कराने की सोची गई।नतीजतन उस पूरी झुग्गी बस्ती को एक पक्की दीवार बना कर ढक दिया गया।

ट्रंप आए!सबने पूछा भी - केम छो ट्रंप!स्वागत देख कर अभिभूत हुए ट्रंप की नजर उस बस्ती के बाहर बनी दीवार की सुंदरता पर पड़ी या नहीं यह तो वही जाने पर उसने "गुजरात माडल" की असलियत को जरूर छिपा लिया था।

अब ऐसा ही प्रयोग अपने इंदौर में किया जा रहा है।आगे की बात बताने से पहले आपको यह बता दूं कि अपने इंदौर में अगले साल प्रवासी भारतीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।मामा की सरकार इसकी मेजवान है।विदेशों में बसे भारतीय इस सम्मेलन में आयेंगे।सूचना के मुताबिक अपने हुजूर भी इस सम्मेलन की शान बढ़ाएंगे।वे करीब 5 घंटे इंदौर में रहेंगे।इसके अलावा बड़े उद्योगपति भी इंदौर आने वाले हैं।

इंदौर में भी अहमदाबाद जैसा ही हाल है।यहां भी एयरपोर्ट रोड पर एक बस्ती ऐसी है जो प्रदेश की असलियत का आइना है।1998 में राजीव आश्रय योजना के तहत तब की कांग्रेस सरकार ने यह बस्ती बसाई थी।सेंट्रल स्कूल के सामने बसी इस बस्ती में 30 परिवारों को 30 साल के पट्टे दिए गए थे।यह बस्ती अब सबकी आंखों में चुभ रही है।

मामा सहित सभी इस कोशिश में हैं कि हुजूर की नजर इस बस्ती पर न पड़े।इसलिए उसके सामने कंक्रीट की जगह स्टील की दीवार बनाई जा रही है। इंदौर के नए मेयर "संघ दीक्षित" हैं। गंदी बस्ती को ढकने की नगर निगम की मुहिम को वे एयरपोर्ट के सुंदरीकरण से जोड़ रहे हैं।अब उनसे कौन पूछे कि शहर के भीतर लोहे की दीवारों से सुंदरता कितने दिन चलेगी।

जो भी हो इतना तो तय है कि गुजरात के एक मॉडल तो एमपी में लागू हो ही गया है।आप इसे "गरीबी ढको मॉडल" भी कह सकते हैं और "अक्षमता ढको" मॉडल भी।यह आपकी मर्जी!

इससे यह भी साबित हो गया है कि अपना एमपी गज्जब तो है ही!यहां न गरीबी हटाई जाती है और न गरीब!बस उन्हें दीवार में दबा दिया जाता है।

एक बात और !आप अगले गुजरात मॉडल के लागू होने की उम्मीद कर सकते हैं।वैसे भी उम्मीद पर अभी तक जीएसटी नही लगता है।

अरुण दीक्षित

अरुण दीक्षित

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