स्वास्थ्य

Cardiac arrest: क्यों बढ़ रहा है Heart Attack का खतरा! जानिए- किन लोगों को है कार्डियक अरेस्ट का अधिक खतरा, कैसे बचें?

Arun Mishra
11 March 2023 9:55 AM GMT
Cardiac arrest: क्यों बढ़ रहा है Heart Attack का खतरा! जानिए- किन लोगों को है कार्डियक अरेस्ट का अधिक खतरा, कैसे बचें?
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कुछ समय से काफी सारे ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें युवाओं की सड़क पर घूमने, जिम में वर्कआउट करने या फिर शादी में डांस करते समय भी कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो रही है. ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हो रहा है.

Cardiac arrest: आज कल लाइफस्टाइल सही नहीं चलने के कारण कई परेशानी हो रही है. उसमे सबसे बड़ी समस्या है. दिल का दौरा आमतौर पर 'मोटापे'और 'हाई कोलेस्ट्रॉल' की वजह से देखने को मिलता है. कुछ समय से काफी सारे ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें युवाओं की सड़क पर घूमने, जिम में वर्कआउट करने या फिर शादी में डांस करते समय भी कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो रही है. ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हो रहा है.

जानिए- किन लोगों को है कार्डियक अरेस्ट का अधिक खतरा

35-40 की उम्र के लोगों में कार्डिक अरेस्ट के मामले अधिक देखने मिल रहे हैं. नीचे 9 बड़े कारक बताए गए हैं जो 90 प्रतिशत कार्डियक अरेस्ट या हार्ट संबधिक बीमारियों के लिए इनमें से दो या दो से ज्यादा रिस्क फैक्टर होने पर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है. ये कारक हैं…

- सिगरेट पीना

- खराब कोलेस्ट्रॉल

- हाई ब्लड प्रेशर

- मधुमेह

- मानसिक और सामाजिक तनाव

- वर्क आउट नहीं करना

- ओबेसिटी यानी मोटापा

- सब्जी और फल बेहद कम खाना

- शराब पीना

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

वैसे तो कार्डियक अरेस्ट के लक्षण को समझने और उनके मुताबिक सही इलाज करने के लिए इंसान को समय ही नहीं मिल पाता. एक्सपर्ट के मुताबिक, कार्डियक अरेस्ट आने से शरीर में कुछ अंतर दिखाई देने लगते हैं. अगर उन पर ध्यान दिया जाए तो कार्डियक अरेस्ट से निपटा जा सकता है.

- बेहोशी

- हार्ट रेट तेज होना

- सीने में दर्द

- चक्कर आना

- सांस लेने में कठिनाई

- उल्टी होना

- पेट और सीने में साथ में दर्द होना

कार्डियक अरेस्ट के बारे में सबसे अहम बात जो जानना जरूरी है वो है कि हार्ट अचनाक से नहीं रुकता. पहले वह 3-5 मिनट की अवधि तक आमतौर पर 350-400 बीपीएम (बीट्स प्रति मिनट) की दर से बहुत तेजी से धड़कता है और फिर रुकता है. इस दौरान इंसान को बचाने के लिए 3-5 मिनट का समय मिलता है. अगर किसी को इस समय सीपीआर या फिर इलेक्ट्रिक शॉक (डिफिब्रिलेशन) मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है. आपातकालीन स्थिति में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) और इलेक्ट्रिक शॉक (डिफिब्रिलेशन) से कार्डियक अरेस्ट में कुछ मदद मिल सकती है. इन तरीकों से फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन बनी रहती है. अगर समय पर सीपीआर और इलेक्ट्रिक शॉक मिल जाता है तो कार्डियक अरेस्ट से जान बचाई जा सकती है.

डॉ. विवेका कुमार बताते हैं, 'ओवरवेट, शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, फैमिली हिस्ट्री, कोविड रिकवरी आदि कार्डियक अरेस्ट के मुख्य जोखिम हो सकते हैं. अगर कोई हेल्दी लाइफस्टाइल जीता है, वजन को कंट्रोल में रखता है, ब्लड प्रेशर मेंटेन रखता है और अगर हार्ट संबंधित बीमारी से फैमिली में किसी की डेथ हो चुकी है तो समय-समय पर डॉक्टर से मिलता है तो उसे कार्डियक अरेस्ट और हार्ट संबंधित बीमारी का जोखिम कम हो सकता है.' डॉ. विवेका ने आगे कहा,' यंगस्टर्स की बात की जाए तो क्षमता से अधिक मेहनत करना, जिम जाकर हैवी वेट उठाना, घंटों एक्सरसाइज करना, स्मोकिंग, अल्कोहल, गलत खान-पान, पर्याप्त नींद ना लेना आदि कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को बढ़ा देता है.

फिजिकल एक्टिविटी के लिए 30-40 मिनिट की रोजाना एक्सरसाइज या फिर हफ्ते में 150-180 मिनिट की एक्सरसाइज से हेल्दी रहा जा सकता है. यह जरूरी नहीं है कि जिम जाकर हैवी वेट ही उठाया जाए. घर या पार्क में बॉडी वेट एक्सरसाइज या कार्डियोवैस्कुल एक्सरसाइज जैसे, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज से भी फिट रहा जा सकता है.

स्मोकिंग-अल्कोहल से दूर रहें और कम से कम 7-8 घंटे की पूरी नींद ना लें. यंगस्टर्स कहते हैं कि उन्हें जल्दी नींद नहीं आती तो उसका कारण मोबाइल का अधिक यूज भी है. अगर आप एक समय बना लें कि इतने बजे के बाद मोबाइल का यूज नहीं करेंगे तो आप जल्दी सो सकते हैं जिससे नींद जल्दी पूरी होगी.'

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