स्वास्थ्य

अगर आपको जानलेवा बीमारी टीबी है तो जरूर पढ़ें, क्षय रोग अधिकारी डॉ आनन्द कुमार ने बताया

Shiv Kumar Mishra
8 May 2022 7:15 AM GMT
अगर आपको जानलेवा बीमारी टीबी है तो जरूर पढ़ें, क्षय रोग अधिकारी डॉ आनन्द कुमार ने बताया
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बलिया : एक बार टीबी का उपचार शुरू करने के बाद बीच में दवा छोड़ने पर होने वाली मल्टी ड्रग रे‌जिस्टेंट टीबी (एमडीआर) के मरीजों को अब चार माह तक लगातार इंजेक्शन लगवाने की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आनन्द कुमार का। डॉ. आनंद ने बताया कि इंजेक्शन के स्थान पर मरीज को नौ से 11 माह तक बीडाकुलीन दवा खानी पड़ेगी। एमडीआर टीबी के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन लगवाने से पीड़ा होती थी, इसलिए अब खाने वाली दवा से ही उपचार शुरू कर दिया गया है। जिले में इस समय एक्सडीआर टीबी का कोई मरीज नहीं है। एमडीआर टीबी के 96 मरीज हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी के उपचार को लगातार ज्यादा कारगर और सरल बनाया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में इंजेक्शन के स्थान पर एमडीआर टीबी के ओरल उपचार के लिए जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) और पीएमडीटी/ टीबी-एचआईवी को‌ऑर्डिनेटर का आगरा में तीन दिन का प्रशिक्षण विगत माह संपन्न हो चुका है। प्रशिक्षण के बाद वह जिले में क्षय रोग विभाग के स्टाफ को ट्रेनिंग दे चुके हैं।

पीएमडीटी कोऑर्डिनेटर अरुणकुमार सिंह ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को अब तक लगातार चार माह तक इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे, यह काफी पीड़ादायक होता है। इसके साथ 11 से 24 माह तक ओरल उपचार देना होता था। अब इंजेक्शन के स्थान पर एमडीआर टीबी के सभी मरीजों को शार्टर ओरल बीडाकुलीन दी जाएगी। नौ से 11 माह‌ तक दवा खाने के बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो जायेगा।

क्या होती है एमडीआर टीबी ?

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि सामान्य टीबी होने पर मरीज द्वारा उपचार शुरू कराने के बाद बीच में दवा छोड़ देने पर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी हो जाती है। सीबीनॉट मशीन से स्पुटम (बलगम) जांच करने पर टीबी के वैक्टीरिया की मौजूदगी और सामान्य टीबी में दी जाने वाली चार दवाओं में से एक या उससे अधिक के प्रति वैक्टीरिया के रे‌‌सिस्टेंट होने पर मरीज को एमडीआर टीबी होती है। आम भाषा में इसे बिगड़ी टीबी भी कह‌ते हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि टीबी के मरीज को एक बार उपचार शुरू करने पर बीच में दवा कतई नहीं छोड़ना चाहिए। अधिकतर मामलों में छह माह तक नियमित दवा खाने पर टीबी ठीक हो जाती है, लेकिन फिर भी जांच के बाद चिकित्सक की राय के बिना दवा न छोड़ें। इस मामले में लापरवाही एमडीआर टीबी को बुलावा देना है।

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