स्वास्थ्य

फाइजर की कोरोना वैक्सीन फाइनल ट्रायल में 95% तक असरदार, अब फाइनल अप्रूवल की तैयारी

Arun Mishra
18 Nov 2020 4:13 PM GMT
फाइजर की कोरोना वैक्सीन फाइनल ट्रायल में 95% तक असरदार, अब फाइनल अप्रूवल की तैयारी
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इस वैक्सीन को हाई-रिस्क आबादी के लिए इस साल के आखिर तक अप्रूवल दिया जा सकता है।

अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की जॉइंट कोरोना वैक्सीन फेज-3 ट्रायल में 95% असरदार साबित हुई है। कंपनी के मुताबिक, वैक्सीन उम्रदराज लोगों पर भी कारगर रही। इसके कोई सीरियस साइड इफेक्ट भी नहीं दिखे। फाइजर इसी साल वैक्सीन के 5 करोड़ डोज बनाने की तैयारी में है।

फाइजर ने वॉलंटियर्स को वैक्सीन की पहली डोज दिए जाने के 28 दिन बाद उसे कोरोना से बचाव में 95% असरदार पाया। कंपनी का कहना है कि इस कामयाबी के साथ ही वह यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की तरफ से इमरजेंसी अप्रूवल हासिल कर सकती है।

कोरोना के 170 मामलों पर स्टडी

फाइजर का फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल 27 जुलाई को शुरू हुआ था। इसमें 43,661 लोग शामिल थे। इन्हें दो हिस्सों में बांटा गया था। पहले ग्रुप को प्लेसिबो यानी सलाइन वॉटर दिया गया और दूसरे ग्रुप को वैक्सीन दी गई। जब दोनों ग्रुप को मिलाकर कोरोना के शुरुआती 170 मामले सामने आ गए तो उनकी स्टडी की गई। स्टडी में पाया गया कि काेराेना से जूझ रहे 170 में से 162 मरीज ऐसे थे, जिन्हें प्लेसिबो दिया गया था। सिर्फ 8 मरीज ऐसे थे, जिन्हें वैक्सीन दी गई थी।

फाइजर की वैक्सीन सेफ मानी जा रही

वैक्सीन को लेकर कोई सेफ्टी कंसर्न सामने नहीं आया। लार्ज-स्केल स्टडी से पहले कंपनियों ने मई में छोटे स्तर पर क्लिनिकल ट्रायल किए थे। इसमें उन्होंने वैक्सीन के चार वर्जन आजमाए। जिस वैक्सीन से बुखार या थकान जैसे साइड इफेक्ट सबसे कम या मध्यम स्तर के थे, उसे ट्रायल के लिए चुना गया।

कंपनी दो महीने के डेटा के आधार पर अप्रुवल मांगेगी

फाइजर ने कहा है कि नवंबर के तीसरे हफ्ते में इमरजेंसी अप्रूवल के लिए वह FDA के पास जाएगी। तब तक उसके पास दो महीने का सेफ्टी डेटा होगा। इसके बाद एजेंसी विशेषज्ञों की एक्सटर्नल एडवायजरी कमेटी से सलाह लेगी।

वैक्सीन की सेफ्टी, इफेक्टिवनेस के डेटा की स्टडी में कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं। यह भी देखा जाएगा कि कंपनियां सुरक्षित तरीके से लाखों डोज बना सकती हैं या नहीं। इमरजेंसी अप्रूवल मिलने के बाद आगे की निगरानी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) और FDA मिलकर करेंगे। ट्रायल में शामिल लोगों की दो साल तक निगरानी होगी।

सालाना 1.3 अरब डोज बनाने की कैपेसिटी

इस वैक्सीन को हाई-रिस्क आबादी के लिए इस साल के आखिर तक अप्रूवल दिया जा सकता है। यह तभी होगा जब सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से चले। फाइजर और बायोएनटेक का कहना है कि वे हर साल 1.3 अरब डोज बना सकते हैं, लेकिन यह दुनियाभर की जरूरत से कम है।

भारत में वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे

भारत में इस समय भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। इसके शुरुआती नतीजे दिसंबर-जनवरी में आने के संकेत मिल रहे हैं।

यदि सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ तो अगले साल की शुरुआत तक यह वैक्सीन अप्रूव हो जाएंगी। जायडस कैडिला की बनाई वैक्सीन को लेकर भी अब तक अच्छे शुरुआती नतीजे आए हैं। इसके भी फेज-3 ट्रायल्स शुरू होने वाले हैं।

दुनियाभर में 212 वैक्सीन पर काम जारी

WHO के कोविड-19 वैक्सीन लैंडस्केप के मुताबिक, इस समय दुनियाभर 212 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें भी 48 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं और इसमें 11 वैक्सीन अंतिम स्टेज में यानी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रहे हैं।

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