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कोरोना पर काबू पाने के लिए कम से कम 6 हफ्ते का लॉकडाउन जरूरी- रिसर्च में बड़ा खुलासा

Shiv Kumar Mishra
3 April 2020 4:15 PM GMT
कोरोना पर काबू पाने के लिए कम से कम 6 हफ्ते का लॉकडाउन जरूरी- रिसर्च में बड़ा खुलासा
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इन लोगों ने करीब 36 देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण का अध्ययन किया. अमेरिका के करीब 50 राज्यों में संक्रमण फैलने पर स्टडी की.

अमेरिका (America) में हुए एक रिसर्च (research) के हवाले से कहा गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से निपटने के लिए कम से कम 6 हफ्ते का लॉकडाउन (lock down) जरूरी है. रिसर्च में दावा किया गया है कि संक्रमण को रोकने के लिए आबादी एक अहम फैक्टर है. कोरोना को काबू में करने के लिए कम से कम 6 हफ्ते का लॉकडाउन और इस दौरान लोगों को अपने घरों में रहना जरूरी है.

अमेरिका में हुआ रिसर्च इसी हफ्ते सामने आया है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक रिसर्च पेपर SSRN नाम के एक जर्नल में छपा है. रिसर्च में कहा गया है कि जिन देशों ने महामारी की शुरुआत में ही इससे सख्ती से निपटे, वहां संक्रमण कम फैला. इन देशों में 3 हफ्तों तक महामारी का मॉडरेट रूप दिखा. एक महीन के भीतर इसे फैलने से रोका जा सका और 45 दिनों में संक्रमण कम हुआ.

लॉकडाउन और क्वॉरेंटाइन के जरिए ही कोरोना पर पाया जा सकता है काबू

रिसर्च में बताया गया है कि इन देशों ने सख्ती से लॉकडाउन किया, लोगों को अपने घरों में रहने को कहा और बड़े पैमाने पर लोगों के संक्रमण की जांच की और उन्हें क्वॉरेंटाइन में भेजा. जिन देशों में ऐसी सख्ती लागू नहीं की गई वहां संक्रमण को काबू करने में काफी वक्त लगा है.

रिसर्च में कहा गया है कि कोरोना की वैक्सीन या इसकी दवा नहीं होने की वजह से बड़े पैमाने पर संक्रमण की जांच, क्वॉरेंटाइन और लॉकडाउन के जरिए ही इस पर काबू पाया जा सकता है. कम से कम एक महीने तक लोगों को अपने घरों में रहना जरूरी है.

रिसर्च करने वालों में यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के मार्शल स्कूल ऑफ बिजनेस के गेरार्ड टेलीस और रिवरसाइड यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के आशीष सूद शामिल हैं. अगुस्ता यूनिवर्सिटी के सेल्यूलर एंड मॉल्यूकलर बॉयलोजी के स्टूडेंट नीतीश भी रिसर्च में शामिल रहे हैं.

कोरोना से निपटने में काम करते हैं लिए कई फैक्टर

इन लोगों ने करीब 36 देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण का अध्ययन किया. अमेरिका के करीब 50 राज्यों में संक्रमण फैलने पर स्टडी की. रिसर्च करने वाले टेलीस का कहना है कि कोरोना के संक्रमण में किसी देश की आबादी, उसकी सीमा, अभिवादन करने के सांस्कृतिक तौर तरीकों, वहां के तापमान और वहां की ह्यूमिडिटी भी अहम फैक्टर साबित हुए हैं.

स्टडी में इटली और कैलिफोर्निया की तरह सख्त लॉकडाउन, साउथ कोरिया और सिंगापुर की तरह बड़े पैमाने पर संक्रमण की जांच और चीन में इन दोनों तरीके के कॉम्बिनेशन की वकालत की गई है. सूद ने लिखा है कि सिंगापुर और साउथ कोरिया ने बड़े पैमाने पर संक्रमण की जांच की और लोगों को क्वॉरेंटाइन में भेजा. सख्ती से लॉकडाउन किया और लोगों को अपने घरों में रहने के आदेश दिए. इन सबका साकारात्मक असर हुआ.

स्टडी में बताया गया है कि अमेरिका का मामला अलग है. यहां आधे राज्यों ने ही कोरोना से निपटने में सख्ती दिखाई. कई जगहों पर देरी से कोरोना से निपटने के इंतजाम किए गए. अमेरिका में पिछले महीने के आखिर में संक्रमण के सिर्फ 1 हजार मामले ही दर्ज किए गए थे. उस वक्त तक कोरोना से सिर्फ दर्जनभर मौतें हुई थीं. पिछले दो हफ्तों से इसमें अचानक तेजी आई.

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