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धरती से टल गया बड़ा खतरा, जानिए- बेकाबू चीनी रॉकेट का मलबा कहां गिरा?

Arun Mishra
9 May 2021 6:05 AM GMT
धरती से टल गया बड़ा खतरा, जानिए- बेकाबू चीनी रॉकेट का मलबा कहां गिरा?
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बीते दो दिनों से चीन का एक 21 टन वजनी विशालकाय रॉकेट अंतरिक्ष में अनियंत्रित हो गया था

चीन के अनियंत्रित हुए रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी का मलबा आज यानी रविवार को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया और इसके मालदीव के पास हिंद महासागर में गिरने की खबर है। बताया जा रहा है कि हिंद महासागर में मलबा गिरने से धरती पर बड़ा खतरा टल गया। बीते दो दिनों से चीन का एक 21 टन वजनी विशालकाय रॉकेट अंतरिक्ष में अनियंत्रित हो गया था और यह पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था। देश की अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी जानकारी देते हुए लोगों और सरकारों के उन सवालों का जवाब दे दिया कि इस रॉकेट का मलबा कब और कहां गिरेगा।

चीन के मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग कार्यालय ने बताया कि चीन के लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट के अवशेष बीजिंग के समयानुसार सुबह 10 बजकर 24 मिनट पर पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गए और वे 72.47 डिग्री पूर्वी देशांतर और 2.65 डिग्री उत्तरी अक्षांश में समुद्र के एक खुले क्षेत्र में गिरे।

'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि ज्यादातर अवशेष पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान ही जल गए। चीन ने इस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में बनाए जाने वाले अपने तियांगोंग स्‍पेस स्‍टेशन का पहला हिस्‍सा भेजा था। इस रॉकेट में 29 अप्रैल को दक्षिणी द्वीपीय प्रांत हैनान में विस्फोट हो गया था।

इससे पहले पेंटागन ने मंगलवार को कहा थाा कि वह चीन के उस विशाल रॉकेट का पता लगा रहा है जो नियंत्रण से बाहर हो गया और उसके इस सप्ताहांत तक पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने की संभावना है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस हफ्ते मीडिया को बताया था कि रॉकेट के अवशेष जब पृथ्वी की वायुमंडल में प्रवेश करेंगे तो वे जल जाएंगे। चीन आगामी हफ्तों में अपने अंतरिक्ष केंद्र कार्यक्रम के लिए और रॉकेट भेज सकता है क्योंकि उसका उद्देश्य अगले साल तक इस परियोजना को पूरा करने का है।

चिंता करने की जरूरत नहीं: चीन

हालांकि चीन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पृथ्वी की कक्षा में आते ही इसके अधिकतर हिस्से जल गए होंगे। जो हिस्से बचे होंगे, वो है मेल्टिंग पॉइंट वाले मैटेरियल से बने होंगे लेकिन वो भी किसी वीरान इलाके या फिर महासागर में ही गिरेंगे। धरती का 75 फीसदी हिस्सा पानी से भरा है और बाकी के 25 फीसदी में भी अधिकतर इलाके वीरान पड़े हुए हैं, इसलिए लोगों को इससे नुकसान होने का खतरा बेहद ही कम है।

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