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तालिबान में महिलाओं पर जुर्म की इंतेहा

Satyapal Singh Kaushik
28 July 2022 6:45 PM IST
तालिबान में महिलाओं पर जुर्म की इंतेहा
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साल 2021 में जबसे तालिबान ने सत्ता संभाली है तबसे वहां पर महिलाओं की स्थिति बद से बदतर हो गई है।

नारी को नारायणी माना गया है,बिना स्त्री के पुरुष की कल्पना भी नहीं की जा सकती। नारी के बिना इस संसार का कोई भी अस्तित्व स्वीकार नहीं किया जा सकता।

जहां कवियों ने नारी को देवी मानकर यहां तक कह दिया कि "यत्र नर्यस्तु पूज्यन्ते,रमंते तत्र देवता, अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता भी निवास करते हैं।

तालिबान में महिलाओं की खराब स्थिति

लेकिन आज के परिदृश्य को देखा जाए तो तालिबान में नारी की क्या दशा है किसी से छुपी नहीं है। वैसे तो सभी इस्लामिक देशों में मुस्लिम महिलाओं को मुंह ढकने,बुर्का पहनने जैसे कड़े नियम पहले से ही लागू हैं लेकिन अफगानिस्तान पर जबसे तालिबान का शासन शुरू हुआ है तबसे वहां की महिलाओं पर जुर्म की इंतेहा हो गई है। वहां के सरकार द्वारा रोज नए-नए आदेश , नित नए नियम महिलाओं पर लगाए जा रहे हैं जिससे वहां की महिलाओं का जीवन दुभर हो गया है।

महिला टीवी एंकरों को मुंह ढकने का है आदेश

15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तो तालिबान मे महिलाओं के खिलाफ कई आदेश जारी कर चुका है लेकिन अब उसने जो हालिया आदेश जारी किया है उसके चलते अफगानिस्तान में महिला टीवी एंकरों को कार्यक्रम के प्रसारण के दौरान अपना चेहरा ढकने पर मजबूर होना पड़ा है। अफगानिस्तान के सबसे बड़े मीडिया संस्थान 'टोलो न्यूज' चैनल के एक ट्वीट के मुताबिक तालिबान के आचरण और नैतिकता मंत्रालय और सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय के बयानों में यह आदेश जारी किया गया है। तालिबान सरकार के बयान में कहा गया है कि यह आदेश ''अंतिम'' है और इसमें ''कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।''

तालिबान सरकार के इस आदेश के बाद से अफगान मीडिया में हड़कंप है क्योंकि एकतरफा जारी किये गये इस आदेश में चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं रखी गयी है। इसलिए अब अफगान टीवी चैनलों के समक्ष कोई विकल्प नहीं बचा होने के चलते वहां महिला टीवी एंकरों ने अपने चेहरे ढक लिये हैं। तालिबान सरकार के इस आदेश के बाद कई महिला टीवी कार्यक्रम प्रस्तोताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें साझा कीं हैं जिनमें वे कार्यक्रम प्रस्तुत करने के दौरान अपने चेहरे को मास्क से ढके हुए दिख रही हैं। 'टोलो न्यूज' की एक प्रमुख प्रस्तोता यल्दा अली ने चेहरे पर मास्क पहनते हुए अपना एक वीडियो पोस्ट किया और इसका शीर्षक लिखा, आचरण एवं नैतिकता मंत्रालय के आदेश पर एक महिला को मिटाया जा रहा है। तालिबान जब 1996 से 2001 तक सत्ता में रहा था, तो उसने महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। तालिबान अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में फिर से सत्ता पर काबिज होने के बाद शुरुआत में महिलाओं पर प्रतिबंधों को लेकर थोड़ा नरम रुख अपनाते प्रतीत हुआ था, लेकिन हालिया सप्ताहों में उसने फिर से प्रतिबंध कड़े करने शुरू कर दिए हैं। तालिबान ने इस महीने की शुरुआत में ही महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर सिर से लेकर पैर तक बुर्के में ढके रहने का आदेश दिया था। तालिबान के आदेश के मुताबिक, सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की केवल आंखें दिख सकती हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जाहिर की चिंता

अपने ताजा बयान में एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, 'तालिबान की कठोर नीतियों की वजह से लाखों महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और स्वतंत्रता छीन ली गई है। नई नीतियों की वजह से महिलाओं पर अत्याचार भी बढ़ चुकी है। अफगानिस्तान में लड़कियों के जीवन पर लगाम लगाया जा रहा है। आलम यह है कि अफगानिस्तान में लड़कियों को स्कूल जाने के लिए भी कड़े नियम बनाए गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तत्काल मांग करनी चाहिए कि तालिबान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान करें और उनकी रक्षा करें। महिलाओं में से एक ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया: 'हमें हमारे स्तनों और पैरों के बीच पीटा गया। एक सैनिक ने मेरे सीने पर हमला किया। महिला ने आगे कहा कि एक सैनिक ने मुझसे कहा, 'मैं अभी तुम्हें मार सकता हूं, और कोई कुछ नहीं कहेगा।'

आपको बताते चलें कि अफगानिस्तान में जो लोग तालिबान के नियमों को मानने से इंकार या फिर विरोध करते हैं, उन्हें सख्त सजा दी जा रही है। गिरफ्तार किए गए लोगों पर आमतौर पर 'नैतिक भ्रष्टाचार' के अस्पष्ट 'अपराध' का आरोप लगाया जाता है। बता दें कि लड़के-लड़कियों को अगर काफी शाप में देखा जाता है तो उन्हें तालिबानी सैनिक गिरफतार कर लेते हैं। कोई भी महिला जो 'मरहम' के साथ नहीं हैं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। अफगानिस्तान में जबरन विवाह के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी व्यक्त की चिंता

कुछ दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट में तालिबानी बर्बरता की काली हकीकत को उजागर किया गया है. इसके अनुसार अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब तक हमलों में लगभग 400 नागरिक मारे गए हैं. बच्चों की बिक्री हो रही है और महिलाओं की स्थिति तो बहुत ही खराब है. 80 प्रतिशत से अधिक हमले इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस के द्वारा किए गए हैं. बता दें कि पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता हासिल करने के बाद यह पहली ह्यूमन राइट रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट आने के बाद महिलाओं, पत्रकारों और अन्य नागरिकों के बारे में चिंता बढ़ गई है।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अफगानिस्तान के लगभग 9 मिलियन नागरिकों पर अकाल का खतरा मंडरा रहा है. तालिबान के कब्जे के बाद से कम से कम पांच लाख अफगानों ने अपनी नौकरी खो दी है, और उम्मीद है कि मध्य वर्ष तक 97% लोग गरीबी रेखा से नीचे रह सकते हैं।

वहां की महिलाओं ने कहा कि

वहां कि महिलाएं बताती हैं हम इस उम्मीद के साथ सोते हैं कि यह सिर्फ एक बुरा सपना है... ताकि अगले दिन हमें यह डर न लगे कि आज मेरे साथ क्या होगा। क्या तालिबान आकर हमसे शादी करेगा या हमें मार डालेगा। हमारे साथ कुछ भी हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियां, बच्चे और महिलाएं अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर अपने उम्मीदों को खो रही हैं।

मालूम हो कि साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरिया काबिज होने वाले तालिबान ने विश्व समुदाय से वादा करते हुए कहा था कि वो महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखेगा लेकिन तालिबान के वादे जल्द ही खोखले साबित हुए और उसने अफगान महिलाओं का चरणबद्ध तरीके से उत्पीड़न शुरू कर दिया है।


Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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