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जर्मनी के संघीय संवैधानिक न्यायालय ने जन्म पंजीकरण में तीसरे लिंग को बतौर विकल्प शामिल किये जाने का आदेश दिया है. तीसरे लिंग से न्यायालय का अर्थ इंटरसेक्स लोगों से हैं.
इंटरसेक्स शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनमें पुरुष और महिलाओं दोनों तरह के सेक्स की विशेषता होती है. न्यायालय के मुताबिक जर्मनी के संविधान मूल कानून में "व्यक्तित्व के संरक्षण" के सामान्य अधिकार का जो मतलब है उसके तहत तीसरे लिंग को पंजीकरण की अनुमति दी जानी चाहिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कानून निर्माताओं को 2018 के अंत तक इस मसले से जुड़ा नया कानून बनाना होगा, जिसके तहत तीसरे लिंग को पंजीकरण की अनुमति हो. मसलन यह इंटरसेक्स, डायवर्स या अन्य किसी सेक्सुअल पहचान से जुड़ा हो सकता है.
हालांकि कानून निर्माताओं के सामने एक संभावना यह भी है कि वह जेंडर एंट्री जैसे पूरे मामले को ही खत्म कर दें. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "व्यक्तिगत पहचान के लिए लिंग तय करना सबसे अहम है. यह न सिर्फ स्वयं की नजरों में बल्कि औरों की नजर में भी व्यक्ति की भूमिका और इसकी छवि निर्धारित करता है. ऐसे में वे लोग जो न पुरूष हैं और न ही महिला, उनकी भी पहचान सुरक्षित रखी जानी चाहिए."
2014 में आया मामला
जर्मन अदालत के इस फैसले के बाद जर्मनी तीसरे लिंग को मान्यता देने वाला यूरोपीय संघ का पहला देश बन जायेगा. हालांकि 2013 के बाद से लोगों के पास यह विकल्प जरूर है कि वे चाहे तो अपना लिंग भरें या उसे खाली छोड़ दें. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता इसे काफी नहीं मानते हैं.
यह पूरा मामला एक इंटरसेक्स व्यक्ति द्वारा सामने लाया गया था जिसे उसके जन्म पंजीकरण कागजात में बतौर लड़की पंजीकृत किया गया. लेकिन क्रोमोजोम स्टडी के मुताबिक वह वह न तो पुरूष है और न महिला. जर्मनी में तकरीबन 80 हजार इंटरसेक्स लोग हैं. एसोसिएशन फॉर इंटरसेक्सुअल पीपुल ने इस निर्णय का स्वागत किया है. साथ ही उम्मीद जतायी है कि आगे भी इस दिशा में काम होगा.