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नामीबिया की हिंबा जनजाति, जहां की महिलाएं जीवन में केवल एक बार नहाती हैं

Satyapal Singh Kaushik
11 Jun 2022 11:45 AM IST
नामीबिया की हिंबा जनजाति, जहां की महिलाएं जीवन में केवल एक बार नहाती हैं
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इस जनजाति में बच्चों का जन्म भी खास तरीके से होता है।

दुनिया में कई धर्म हैं, कई जातियां हैं तो अनेकों प्रकार के रीति रिवाज भी हैं, ऐसी ही एक जनजाति है नामीबिया की रहने वाली हिंबा, इस जनजाति की प्रथाएं कुछ अजीब सी हैं तो आइए जानते हैं इस जनजाति से जुड़े कुछ रीति रिवाज के बारे में।

अफ्रीका में बसने वाली जनजातियां हजारों साल पुरानी सभ्यता और रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। अफ्रीका में उत्तर-पूर्व नामीबिया का कुनैन प्रांत है जिसका जीवन अपने आप मे किसी कहानी जैसा लगता है।

नामिबिया की रहने वाली हिंबा जनजाति (Himba tribe, Namibia) बेहद अनोखी है. वो इसलिए क्योंकि यहां के लोगों में बच्चे के जन्म को लेकर काफी रोचक एक परंपरा है। अन्य जगहों की तरह इस जनजाति में बच्चे के जन्म की तिथि तब नहीं मानी जाती है जब उसका इस दुनिया में जन्म होता है. बल्कि जब महिला इस बात को सोचती है कि वो बच्चे को जन्म देगी, तब से यहां बच्चे का जन्म माना जाता है।

*आइए जानते हैं कौन है ये हिम्बा*

हिंबा खानाबदोश लोग हैं। वे रेगिस्तान की कठोर जलवायु में रहने के अभ्यस्त होते है, और बाहरी दुनिया से अपने आप को अलग रखते हैं। ये सुबह, दोपहर, शाम ज्यादातर दलिया खाते हैं जो मक्के या बाजरे के आटे के बना होता है। ये लोग बाजरे को महांगू कहते हैं जो नामीबिया में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। वहीं शादी समारोह या किसी खास मौकों पर ये लोग मीट खाना पसंद करते हैं। अफ्रीका के अन्य आदिवासी समाज की तरह हिंबा के लोग भी गाय पर निर्भर हैं। यहां तक कि अगर समूह में किसी के पास गाय नहीं है, तो उसे सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता है। वे मवेशी पालते हैं, जिनमें गायों के साथ साथ बकरी और भेड़ भी होते हैं। गायों का दूध निकालने की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है।

*इस जनजाति की महिलाएं शादी के बाद भी एक से ज्यादा पुरुष से संबंध बना सकती हैं*

हिंबा महिलाएं शादी के बाद भी एक से ज्यादा पुरुषों के साथ संबंध बना सकती हैं। सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि जनजाति के पुरुषों पर भी यह नियम लागू होता है। हिंबा जनजाति में आर्थिक निर्णय का अधिकार केवल यहां कि महिलाओं के ही पास होता है और परिवार में किसी भी तरह के खर्च पर महिलाओं की स्थिति निर्णायक होती है। हिंबा जनजाति के लोगों का हेयरस्टाइल भी अजीब और अनोखा है। यहां के पुरूष सिर पर केवल एक चोटी बनाकर रखते है वो भी सींगनुमा होती है। हालांकि, यहां कि शादीशुदा पुरूष अपने सिर पर पगड़ी पहनते हैं। इससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि यहा जिन पुरूषों की शादी हो जाती है वे शादी के बाद अपने सिर से कभी भी पगड़ी नही उतारते हैं।

हिंबा जनजाति की महिलाओं की त्वचा का रंग लाल होता है। दरअसल, वे नहाने की जगह खास जड़ी-बूटियों को पानी में उबालकर उसके धुंए से अपनी शरीर को ताजा रखती हैं ताकि उनसे गंध ना आए। हिंबा जनजाति की ये महिलाएं हाथ धोने तक के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं करतीं। वे अपनी त्वचा को धूप से बचाने के लिए खास तरह के लोशन का इस्तेमाल करती हैं। यह लोशन जानवर की चर्बी और हेमाटाइट (लोहे की तरह एक खनिज तत्व) की धूल से तैयार किया जाता है। हेमाटाइट की धूल की वजह से उनके त्वचा का रंग लाल हो जाता है। ये खास लोशन उन्हें कीड़ों के काटने से भी बचाता है। इन महिलाओं को 'रेड मैन' के नाम से भी जाना जाता है। हिंबा महिलाएं केवल लुंगी पहनती हैं और अपने शरीर को गहरे गेरुए रंग से ढंक लेती हैं, लेकिन उनके शरीर का ऊपरी भाग खुला रहता है।

*बच्चों के जन्म पर विचित्र सा है रिवाज*

जब कोई महिला बच्चे को जन्म देना चाहती है तो वह महिला एक पेड़ के नीचे बैठती है और बच्चे जन्म देने वाले बच्चे से जुड़े गीत को सुनने की कोशिश करती है. जब उसे लगता है कि बच्चे ने उसे गीत का सुझाव दे दिया है, यानी गीत उसके दिमाग में आ गया है तब वो अपने पार्टनर को भी वो गीत सुनाती है और दोनों संबंध बनाने के दौरान भी इस गीत को गाते हैं. जब महिला प्रेग्नेंट हो जाती है तो वो जनजाति की दूसरी महिलाओं को वो गीत सिखाती है और सब मिलकर उसे याद करते हैं. फिर प्रेग्नेंसी के फेज में वो उसे घेरकर वो गीत उसे सुनाते हैं. बच्चे के जन्म होने से लेकर उसके बड़े होने तक गांव के हर व्यक्ति को बच्चे का गीत याद हो जाता है जिसे वो हर परिस्थिति में, यानी मनोबल बढ़ाने के लिए, चोट लग जाने पर आराम देने के लिए या फिर कोई गलती हो जाने पर वो गाकर सुनाते हैं. इससे इंसान को हमेशा ये ध्यान रहता है कि उसकी हकीकत क्या है. इंसान के मरने तक ये गीत लोग उसे सुनते रहते हैं और उसकी अंतिम सांस तक उसे गीत सुनाया जाता है।

*हिम्बा जनजाति की महिलाएं जीवन में केवल एक बार नहाती हैं*

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जनजाति की महिलाएं जीवन में सिर्फ एक बार नहाती हैं। वो भी अपनी शादी के दिन. इसके अलावा वो पानी का इस्तेमाल कर कपड़े भी नहीं धुल सकतीं. हिंबा जनजाति की महिलाएं खुद को साफ रखने के लिए खास जड़ी-बूटियों को पानी में उबालकर उसकी भाप से खुद को साफ करती हैं. इससे शरीर से बदबू नहीं आती है. इसके अलावा चमड़ी को धूप से बचाने के लिए महिलाएं खास तरह का लोशन जानवरों की चर्बी और लोहे की तरह एक खनिज तत्व, हेमाटाइट, से बनाती हैं और उसे शरीर पर लगाती हैं. इस तत्व से शरीर लाल हो जाता है जिससे वो खुद को मर्दों से अलग कर पाती हैं।

Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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