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Tarek Fatah का निधन, कराची में हुआ जन्म, कनाडा में आखिरी सांस ली, खुद को बताते थे हिन्दुस्तान का बेटा

Arun Mishra
24 April 2023 2:15 PM GMT
Tarek Fatah का निधन, कराची में हुआ जन्म, कनाडा में आखिरी सांस ली, खुद को बताते थे हिन्दुस्तान का बेटा
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तारिक फतेह खुद को हिंदुस्तानी ही कहते थे और पाकिस्तान को भी भारतीय संस्कृति का ही हिस्सा मानते थे।

अपने बेबाक बयानों के लिए दुनिया भर में मशहूर पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक तारेक फतह (Tarek Fateh) का निधन हो गया. वह 73 साल के थे. उनके निधन से उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके निधन पर उनकी बेटी नताशा फतह ने लिखा- "पंजाब का शेर, हिन्दुस्तान का बेटा, कनाडा का प्रेमी, सच बोलने वाला, न्याय के लिए लड़ने वाला, दलितों और शोषितों की आवाज-का निधन हो गया. लेकिन उनकी क्रांति उन सबके लिए जारी रहेगी, जिन्हें वो प्यार करते थे."

तारिक फतेह खुद को हिंदुस्तानी ही कहते थे और पाकिस्तान को भी भारतीय संस्कृति का ही हिस्सा मानते थे। भारत विभाजन को गलत बताते हुए वह दोनों देशों की एक ही संस्कृति की बात करते थे। धार्मिक कट्टरता के खिलाफ रहे तारिक फतेह भारतीय संस्कृति के मुरीद थे और उसे ही भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश को एक साथ जोड़ने का सूत्र मानते थे। कराची में जन्मे तारिक फतेह ने 1987 में कनाडा का रुख कर लिया था और फिर वहीं बस गए थे। रिपोर्टर के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले तारिक फतेह स्तंभकार रहे। इसके अलावा रेडियो और टीवी पर भी वह कॉमेंट्री करते रहे थे। उनकी सोशल मीडिया पर भी अच्छी खासी फॉलोइंग थी।

तारिक फतेह कई भाषाओं के जानकार थे। उनकी हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी और अरबी जैसी भाषाओं पर समान पकड़ थी। तारिक फतेह को ह्यूमन राइट्स ऐक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता था। भारतीय टीवी चैनलों में भी बीते कुछ सालों से वह नजर आते थे और अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे। वह पाकिस्तान से ज्यादा अपनी पहचान भारत से ही जोड़ते थे। उन्होंने 'यहूदी मेरे दुश्मन नहीं हैं' शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी। यही नहीं पाकिस्तान में बलूचों के आंदोलन के भी वह समर्थक थे और पाकिस्तान की बर्बरता के तीखे आलोचक के तौर पर जाने जाते थे।

तारेक फतेह ने कई मौकों पर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का खुलकर समर्थन किया। एक पाकिस्तानी टीवी चैनल को 2021 में दिए इंटरव्यू में तारेक ने कहा था- मोदी ने बिना एक गोली चलाए पाकिस्तान को भुखमरी की कगार पर ला दिया। वक्त है जब पाकिस्तान कि सियासतदान मोदी से सीखें।

रविवार को भी नताशा ने सोशल मीडिया पर एक मैसेज पोस्ट किया था। इसमें कहा था- रविवार सुस्त रहा। पापा ने बॉलीवुड के पुराने गाने सुने और बताया कि वो भारत माता से कितना प्रेम करते हैं।

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