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बैकफुट पर आया नेपाल, पीएम केपी ओली ने नए नक्‍शे से जुड़े संविधान संशोधन पर लगाई रोक

Arun Mishra
27 May 2020 3:23 PM GMT
बैकफुट पर आया नेपाल, पीएम केपी ओली ने नए नक्‍शे से जुड़े संविधान संशोधन पर लगाई रोक
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नक्शे में बदलाव के लिए किए जाने वाले संवैधानिक संसोधन पर फिलहाल नेपाल ने रोक लगा दी है. नए राजनीतिक नक्शे में नेपाल ने भारतीय क्षेत्र- कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने हिस्से में दर्शाया था. इसे नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार में खुद को मजबूत करने के लिए पीएम केपी शर्मा ओली के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके तहत वो भारत के खिलाफ अति राष्ट्रवादी भावनाएं भरना चाहते थे.

हालांकि वह नेपाल के दलों के बीच नए नक्शे के आसपास आम सहमति बनाने में सक्षम नहीं रहे, नेपाली दलों में से कई को लगा कि यह गोरखा राष्ट्रवाद को लागू करने और निजी लाभ के लिए उठाया गया कदम है.

नेपाली कांग्रेस के बयान ने भेजा केपी ओली को बैक फुट पर

पीएम ओली, जिन्हें सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, को इस महीने काठमांडू में जोरदार विरोध प्रदर्शन के लिए देखा गया, जो उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख तक भारत द्वारा खोली गई 80 किलोमीटर की सड़क को लेकर था. उन्होंने इस जन भावना के मुद्दे का जवाब कुछ हफ्ते बाद एक नए राजनीतिक नक्शे के साथ दिया, जिसमें लिपुलेख और कालापानी को नेपाली क्षेत्र के हिस्से के रूप में दर्शाया गया.

कैबिनेट की मंजूरी के एक दिन के भीतर जारी किए गए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के सुदूरपश्चिम प्रांत में ब्यास ग्रामीण नगरपालिका के हिस्से के रूप में दिखाया गया. इसके बाद पीएम ओली समर्थन प्राप्त करने के लिए संसद पहुंचे, लेकिन उनकी यह योजना तब धरी की धरी रह गई जब मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि केंद्रीय कार्य समिति के निर्णय के बाद ही वह इसपर अपना पक्ष रख सकती है.

भारत ने भी नक्शा जारी किए जाने के बाद अपना विरोध दर्ज कराया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ये नक्शा तथ्यों और एतिहासिक सबूतों पर आधारित नहीं है और इसमें भारतीय क्षेत्रों को अपने अधीन बताया गया है. वहीं सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने नई दिल्ली में अपने आकलन के आधार पर बताया था कि विरोध किसी और के इशारे पर हो सकता है. इस दौरान उनका संदर्भ चीन से था.

नेपाल आर्मी चीफ ने किया इनकार तो रक्षा मंत्री ने दिया बयान

इस टिप्पणी ने पीएम ओली को इतना उत्तेजित कर दिया था कि उन्होंने नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा से कहा कि वे जनरल नरवणे के बयान का सार्वजनिक रूप से खंडन करें, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक जनरल थापा ने मना कर दिया और ये कहा यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसका सेना से कोई लेना-देना नहीं है.

मालूम हो कि जैसे जनरल नरवणे नेपाल सेना के मानद जनरल हैं, वैसे ही जनरल थापा भारतीय सेना के मानद जनरल हैं. जनरल थापा द्वारा राजनीति में घसीटे जाने से इनकार करने के बाद ही नेपाल के रक्षा मंत्री ईशवर पोखरेल ने जनरल नरवणे की आलोचना करते हुए एक बयान जारी किया.

इसके बाद बुधवार का घटनाक्रम पीएम ओली के लिए एक और झटके के रूप में आया. दो महीने में यह दूसरी बार है जब उन्हें रिवर्स गियर में जाना पड़ा है. पिछले महीने, पीएम ओली को दो अध्यादेशों को रद्द करना पड़ा था जिन्हें उन्होंने अधिसूचित होने के पांच दिनों के भीतर मंजूरी दे दी थी. लेकिन इसके बाद भी ओली सरकार ने दावा किया कि वह 10 दिनों के भीतर संविधान संशोधन बिल के साथ वापसी करेंगे. पीएम ओली ने बुधवार को कहा कि यह केवल स्थगित कर दिया गया है, रद्द नहीं किया गया है.

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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