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अब 120 साल से ज्यादा जिंदा रह पाएंगे इंसान! जीन से जुड़ी अनोखी खोज ने खोला राज

Shiv Kumar Mishra
27 Sep 2021 5:41 AM GMT
अब 120 साल से ज्यादा जिंदा रह पाएंगे इंसान! जीन से जुड़ी अनोखी खोज ने खोला राज
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एक अनोखे आविष्कार से इंसानों की उम्र (Human Age) 120 साल तक हो सकती है.

हर इंसान ये चाहता है कि वो स्वस्थ और लंबा जीवन जी सके. वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज कर ली है जिसके जरिए इंसानों का ये सपना पूरा हो सकता है. एक अनोखे आविष्कार से इंसानों की उम्र (Human Age) 120 साल तक हो सकती है. इस हैरतंगेज खोज ने इंसान को विज्ञान की दुनिया में तो एक कदम आगे बढ़ा ही दिया है, साथ ही उनकी उम्र को लंबा करने की भी उम्मीद जताई है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज (University of Cambridge) के एक्सपर्ट सर शंकर बालासुब्रमण्यम (Sir Shankar Balasubramanian) इंसानों के जीन (Human Gene) से जुड़ी खास खोज की है. उन्होंने जीन सीक्वेंसिंग (Genetic Sequencing) के एक नए फॉर्म का आविष्कार किया है जिससे डॉक्टर्स किसी भी बीमारी को उसके शुरुआती स्टेज में ही पकड़ लेंगे और उसका इलाज कर उसे ठीक कर सकेंगे. इसके जरिए इंसान की लाइफ भी बढ़ जाएगी.

जिनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) के जरिए डॉक्टर्स किसी भी इंसान की जीन को जांच कर उसकी बीमारी का पता काफी पहले लगा सकते हैं. जीनोम सीक्वेंसिंग का अर्थ होता है किसी भी जीव के जीन का परीक्षण करना जिसके जरिए उसके बारे में ज्यादा जानकारी मिल सके. जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए बच्चों के जीन्स (Genes) की जांच कर उनके अंदर बौद्धिक विकलांगता का भी पता लगाया जा सकता है. यूं तो जिनोम सीक्वेंसिंग की ये शुरुआत ही है मगर इस खोज में ज्यादा अध्ययन से इंसान की उम्र को बढ़ाया जा सकता है.

सर शंकर द्वारा की गई ये खोज अगले जेनरेशन की सीक्वेंसिंग के लिए रास्ते खोलने वाली है. इस खोज के जरिए डॉक्टर्स इंसान के डीएनए को पहले से भी बेहतर ढंग से पढ़ सकते हैं. हमारे जीन के मुख्य सांकेतिक लेटर A,C,T और G हैं जिसे इस नई खोज के माध्याम से पढ़ा जा सकेगा. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब वो समय दूर नहीं है जब हम सिर्फ जिनोम सीक्वेंसिंग ही नहीं, एपीजिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए भी बीमारियों का पता लगा पाएंगे. इस खोज के आधार पर सर शंकर की कंपनी कैंब्रिज एपिजेनेटिक्स किसी भी मरीज के जीन का अध्ययन कर के उसकी बीमारी के लिए अलग से दवाइयां बनाने में कामयाब होगी.

समय के साथ जिनोम सीक्वेंसिंग के क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक जिनोम को पहली बार साल 2000 में सीक्वेंस किया गया था. 10 साल के रिसर्च के बाद तब इसपर कुल खर्च 1 बिलियन डॉलर आया था. मगर साल 2021 में 48 ह्यूमन जिनोम को महज 48 घंटों में प्रोसेस किया गया वो भी सिर्फ 1 हजार डॉलर खर्च कर के! आपको बता दें कि DNA की बनी बेहद सूक्ष्म रचनाओं को जीन कहते हैं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण और उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर करती है.

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