राष्ट्रीय

तालिबान का समर्थन करने पर पाकिस्तान की हुई फजीहत

Desk Editor
22 Sep 2021 10:03 AM GMT
तालिबान का समर्थन करने पर पाकिस्तान की हुई फजीहत
x
आपको बता दें कि सार्क के ज्यादातर सदस्य तालिबान को लेकर सहमत नहीं थे। वे चाहते थे कि मीटिंग के दौरान अफगानिस्तान की कुर्सी खाली पड़ी रहे। लेकिन पाकिस्तान तालिबान का पक्ष ले रहा था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी वर्चुअली संबोधन के दौरान दो टूक कहा था कि चरमपंथ कई समस्याओं की जड़ है। अफगानिस्तान इसी का नतीजा है।

एएनआई : जैसाकि भारत पाकिस्तान पर तालिबान समर्थक होने पर आरोप लगाता रहा है आज यह बात सच साबित हो गई है जबसे तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है पाकिस्तान हमेशा तालिबान के पक्ष में भाषा पढ़ रहा है उसने तालिबान को अपनी सेना देने का वादा किया था और उसे निभाया भी है। यह बात अलग है कि खुद, पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और पंजशीर घाटे में चल रहे युद्ध को लेकर भी पाकिस्तान का नजरिया साफ है। तालिबान को दुनिया के सामने 'अच्छी सरकार' बताने की कवायद में जुटे पाकिस्तान की फजीहत हो गई है। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की 25 सितंबर को होने वाली बैठक कैंसल कर दी गई है। न्यूज एजेंसी ANI के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान इस कोशिश में था कि इस मीटिंग में तालिबान का भी कोई प्रतिनिधि शामिल हो। लेकिन भारत और दूसरे अन्य देशों ने उसकी एक नहीं चलने दी। लिहाजा बैठक कैंसल कर दी गई। यह बैठक न्यूयॉर्क में होने वाली थी। हालांकि पहले यह पाकिस्तान में प्रस्तावित थी।

आपको बता दें कि सार्क के ज्यादातर सदस्य तालिबान को लेकर सहमत नहीं थे। वे चाहते थे कि मीटिंग के दौरान अफगानिस्तान की कुर्सी खाली पड़ी रहे। लेकिन पाकिस्तान तालिबान का पक्ष ले रहा था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी वर्चुअली संबोधन के दौरान दो टूक कहा था कि चरमपंथ कई समस्याओं की जड़ है। अफगानिस्तान इसी का नतीजा है। सार्क दक्षिण एशिया के 8 देशों का क्षेत्रीय संगठन है। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल हैं।

अफगानिस्तान को अमेरिका से मदद मिलना बंद हो चुकी है। ऐसे में अब चीन आगे आया है। तालिबान यह बयान दे चुका है कि चीन उसका सबसे अच्छा साझेदार है। 28 जुलाई को चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने चीन के तियानजिन में अफगानिस्तान के तालिबान के राजनीतिक प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद चीन और अफगानिस्तान की बढ़ती नजदीकियां सामने आ गई थीं।


Next Story