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जेरुसलम के जिस टेम्पल ऑन माउण्ट पर मुसलमान अपना दावा करते हैं, जानिए क्या है इसकी हकीकत?

Shiv Kumar Mishra
31 May 2021 6:36 AM GMT
जेरुसलम के जिस टेम्पल ऑन माउण्ट पर मुसलमान अपना दावा करते हैं, जानिए क्या है इसकी हकीकत?
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जेरुसलम के जिस टेम्पल ऑन माउण्ट पर मुसलमान अपना दावा करते हैं उसे डोम आन रॉक कहा जाता है।

संजय तिवारी

जेरुसलम के जिस टेम्पल ऑन माउण्ट पर मुसलमान अपना दावा करते हैं उसे डोम आन रॉक कहा जाता है। हालांकि भारत और पाकिस्तान में फिलिस्तीन के लिए छाती पीटने वाले बड़े से बड़े आलिम भी ये अंतर नहीं कर पाते कि अल अक्सा और डोम आन रॉक दोनों अलग अलग हैं। वो फोटो डालते हैं डोम आन रॉक की और उसे बताते हैं अल अक्सा मस्जिद।

खैर, इस डोम आन रॉक को हिब्रू में हरबैत कहा जाता है। मुसलमान उस जगह को हरम अल शरीफ कहते हैं। अरबी और हिब्रू दोनों ही भाषाओं में "हर" शब्द कॉमन है और दोनों भी भाषाओं में उसका आशय पवित्रता से है। मसलन, मुसलमान अपने पवित्र स्थान काबा को हरमैन शरीफ भी कहते हैं। हरम इस्लाम में पवित्रता के लिए इस्तेमाल होता है इसमें भी हर शब्द छिपा हुआ है।

मैं न अरबी का जानकार हूं और न हिब्रू का। लेकिन इन भाषाओं में पवित्रता के लिए हर शब्द का इस्तेमाल देखकर मुझे "हर हर महादेव" याद आ गये। हर हर महादेव में हर शब्द का अर्थ क्या होता है इस पर लोगों के अलग अलग विचार हो सकते हैं लेकिन हर शब्द यहां भी पवित्रता का ही द्योतक है।

तो पवित्रता का सूचक "हर" शब्द इधर से उधर गया या उधर से इधर आया? अगर हम उस थ्योरी को सही मानें जिसनें इजराइल की एक संतान के कश्मीर आने का उल्लेख मिलता है तो क्या इस बात की संभावना हो सकती है ये हर शब्द वो लेकर आये? या फिर ऐसा हो सकता है कि ये हर शब्द यहूदी यहां से लेकर इजराइल गये। इस विचार के पीछे एक कारण ये भी है कि हर शब्द पहाड़ के लिए भी इस्तेमाल होता है।

अर्थात वह आदि देव जो हिमालय में निवास करता है उसके लिए हर शब्द का प्रयोग शुरु हुआ हो जो कालांतर में घूमते हुए हिब्रू भाषा का हिस्सा हो गया हो और फिर वहां से अरबी में आ गया हो? इस आशंका के पीछे एक कारण और है कि अल्ला संस्कृत का शब्द है और अल्ला हिब्रू में भी उसी अर्थ में इस्तेमाल होता है जिस अर्थ में संस्कृत में। अल्ला मतलब सम्मानित स्त्री। अरब में अल लात देवी का उल्लेख तो सब जानते ही हैं।

अगर इन कड़ियों को जोड़ते हैं तो ऐसा लगता है अतीत में सभ्यताओं का मेल जोल होता रहा है। शब्द हवा में उड़कर यात्रा नहीं करते। कहीं न कहीं मनुष्य उनको लेकर यात्रा करता है। मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूं। आप भी इस मामले में थोड़ा शोध करिए। शायद कुछ और नया निकलकर सामने आये।

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