- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
इस एक बिल के चक्कर में BJP हार गई 28 में से 26 आदिवासी सीटें?
नई दिल्ली: अगर मुख्यमंत्री रहते हुए रघुवर दास (Raghuvar Das) कुछ विवादित विधेयक विधानमंडल से पास न कराते तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति अच्छी हो सकती थी. ये दो विधेयक छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन से जुड़े थे.
इन दोनों विधेयकों का जिन 28 विधानसभा क्षेत्रों की आदिवासी जनता पर असर पड़ना था, वहां की 26 सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है. भाजपा सिर्फ खूंटी और तोरपा ही जीत पाई. राज्य में भाजपा से आदिवासियों की नाराजगी के पीछे यही दोनों विधेयक जिम्मेदार माने जा रहे हैं.
दरअसल, रघुवर सरकार ने विपक्ष के वॉकआउट के बीच छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम(एसपीटी) में संशोधन के लिए बिल पास कराए थे. भूमि अधिग्रहण कानूनों में भी रघुवर सरकार ने संशोधन की कोशिशें की थी. ये कानून कभी आदिवासियों की जमीनों से जुड़े अधिकारों की रक्षा के लिए बने थे.
सरकार की ओर से इन कानूनों में संशोधन से आदिवासियों को अपने अधिकारों का हनन होता दिखा. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए काफी विरोध किया. बाद में गृह मंत्रालय की आपत्तियों के बाद राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर करने से इन्कार करते हुए विधेयक को लौटा दिया था. इस घटना के बाद आदिवासियों को लगने लगा कि राज्य की रघुवर सरकार उनके अधिकारों के विपरीत काम कर रही है.
26 सीटों पर हार
सूत्रों का कहना है कि आदिवासियों की नाराजगी के कारण उत्तरी और दक्षिणी छोटा नागपुर और संथाल प्रमंडल में उनके लिए आरक्षित कुल 28 सीटों के चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा. इन 28 में से भाजपा को 26 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.