
बड़े भाई दुर्गा की मौत ने कैसे बदली सीएम पद के दावेदार हेमंत सोरेन की जिंदगी!

झारखंड की सियासत के लिए सोमवार को एक नए दौर की शुरुआत हुई है। पांच साल तक सत्ता चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी की हार के साथ प्रादेशिक सत्ता के शीर्ष पर एक बार फिर गैर बीजेपी दल का कब्जा हुआ है। चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन अब प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी नेता शिबू सोरेन के बेटे हेमंत इन चुनावों में जेएमएम-कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन का चेहरा थे। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी कह चुके हैं कि महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन ही मुख्यमंत्री बनेंगे। 19वीं सदी के आदिवासी नायक बिरसा मुंडा को मानने वाले हेमंत राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
मगढ़ जिले के नेमरा गांव में शिबू सोरेन और रूपी के घर 10 अगस्त, 1975 को पैदा हुए हेमंत सोरेन ने 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करते वक्त बताया था कि उन्होंने इंटर तक पढ़ाई की है। जब सोरेन 2013 में सीएम बने थे तो उनकी पत्नी कल्पना का उत्साह देखते बन रहा था जब वह पति के जीवन के ऐतिहासिक पल को कैमरे में कैद कर रही थीं और आज भी नजरें उन पर और उनके दोनों बेटों पर टिकी हैं।
बड़े भाई की मौत से बदली जिंदगी
2005 में विधानसभा चुनावों के साथ उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा जब वह दुमका सीट से मैदान में उतरे हैं। हालांकि, उन्हें पार्टी के बागी नेता स्टीफन मरांडी से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद 2009 में बड़े भाई दुर्गा की मौत ने हेमंत की जिंदगी में बड़ा मोड़ ला दिया। दुर्गा को शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन उनकी असमय मौत हो गई और हेमंत राज्य की राजनीति के केंद्र में आ गए।
सबसे कम उम्र के सीएम
राज्य सभा के सांसद के तौर पर वह 24 जून, 2009 से लेकर 4 जनवरी, 2010 के बीच संसद पहुंचे। सितंबर में वह बीजेपी/जेएमएम/जेडीयू/एजेएसयू गठबंधन की अर्जुन मुंडा सरकार में झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने। इससे पहले वह 2013 में राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2014 तक इस पद पर रहे।
महागठबंधन की नींव
जनवरी में हेमंत ने विपक्षी दलों-कांग्रेस, जेवीएम-पी और आरजेडी से बातचीत की और झारखंड महागठबंध करने वाला पहला राज्य बन गया। इसके बाद देश में आम चुनावों के दौरान महागठबंधन देखने को मिला था।
प्रचार में यूं रघुबर सरकार को घेरा
चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने आदिवासियों से जुड़े कानून में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया और 70,000 से ज्यादा अस्थायी शिक्षकों का नियमन करने का समर्थन किया। उन्होंने रघुबर दास सरकार पर खुदरा शराब बिक्री और सरकारी स्कूलों के विलय को लेकर निशाना साधा।




