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इस एक नेता की वजह से बागी हुए कांग्रेस विधायक, अब जानिए कितने घंटे की मेहमान है कुमार स्वामी सरकार!
कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के गठबंधन पर संकट गहरा गया है. गठबंधन के 14 विधायक शनिवार को जब विधानसभा स्पीकर के पास इस्तीफा सौंपने पहुंचे तो दोनों ही दलों के नेताओं के बीच तल्खियां साफ देखने को मिलीं. हालांकि कांग्रेस से वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कर्नाटक में सब कुछ ठीक है. कर्नाटक सरकार पर किसी भी तरह का कोई भी खतरा नहीं है. विधायकों के इस्तीफे के बीच जो बात हर किसी को खटकी, वह थी पार्टी के सबसे वरिष्ठ और वफादार माने जाने वाले नेता रामलिंगा रेड्डी का विद्रोहियों से हाथ मिलाना. कांग्रेस का मानना है कि अगर उन्होंने रामलिंगा रेड्डी को साध लिया तो और बागी विधायक भी अपने फैसले को बदल लेंगे. यही कारण है कि कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत अब रामलिंग रेड्डी को मनाने में लगा दी है.
गौरतलब है कि शनिवार को 14 विधायक विधानसभा स्पीकर से मिलने पहुंचे थे. इन 14 विधायकों में तीन जेडीएस के विधायक है जबकि 11 कांग्रेस के विधायक हैं. रमेश मेश जरखोली, रामलिंग रेड्डी, महेश कुमटल्ली, शिवराम हेब्बार, बीसी पाटिल, मुनिरत्ना, एसटी सोमशेखर, बृजपति बसवराज, सौम्या रेड्डी, प्रताप गौड़ा पाटिल कांग्रेस से हैं और नारायण गौड़ा, गोपालैया और विश्वनाथ. कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने सोमवार को अपना इस्तीफा दे दिया था.
कर्नाटक के विधायकों की इस्तीफे की बात जैसे ही दिल्ली तक पहुंची वैसे ही उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और राज्य के मंत्री डीके शिवकुमार ने कांग्रेस के विधायकों और निगम सदस्यों की आपात बैठक बुला ली. कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं के पास कर्नाटक में मची उठा-पटक से निपटने के लिए अभी भी तीन दिनों का समय है.
इस्तीफे की खबर आने के बाद शनिवार शाम कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल बेंगलुरु पहुंचे. कांग्रेस पार्टी के विधायकों के नेता सिद्धारमैया ने वेणुगोपाल, जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार, उपमुख्यमंत्री जी परमेस्वर और कुछ अन्य नेताओं से उनके आवास पर मुलाकात की और कर्नाटक में गरमाई राजनीति पर मंथन किया. बताया जाता है कि बैठक के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कथित तौर पर उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर पर अपना गुस्सा जाहिर किया. सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया ने उप मुख्यमंत्री को कर्नाटक के इस हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया.
सिद्धरमैया ने आरोप लगाया कि रामलिंग रेड्डी ने उन्हें बताया था कि वह पार्टी के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. उन्होंने कहा था कि मैंने हमेशा परमेश्वर से कहा है कि बेंगलुरु से संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय उसके साथ चर्चा करें, लेकिन उन्होंने नहीं सुना. यहां तक कि उन्होंने कहा कि वह एक वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें रामलिंग रेड्डी से मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है. बैठक में कथित तौर पर दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया, जिसके बाद वेणुगोपाल ने उन्हें शांत कराया.
अब क्या होगा विधानसभा का हाल?
शनिवार को हुए इस्तीफों से पहले 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में 78 सीट कांग्रेस, 37 जेडीएस, बसपा, 1, निर्दलीय-2, बीजेपी 105 और अन्य अन्य के खाते में कुल 1 सीटे हैं. गठबंधन का दावा है कि उनके समर्थन में 118 विधायक हैं. अगर ये इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो सदन की कुल विधायकों की संख्या घटकर 210 हो जाएगी. इसके बाद बहुमत के लिए 113 के बजाए 106 सीटों की जरूरत होगी. ऐसा होने पर कांग्रेस-जेडीएस सरकार में विधायकों की संख्या 104 ही रह जाएगी, जो बहुमत से दो सीट कम होगा.
BJP के पास 105 सीटें
वहीं बीजेपी के पास अपनी 105 सीटें हैं ऐसे में उन्हें सिर्फ 1 विधायक की जरूरत है. अगर सभी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाते हैं तो एक ओर जहां बीजेपी के लिए सरकार बनाने के मौका बढ़ जाएगा वहीं कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर जाएगी.