कर्नाटक

क्या आपको पता है कि दक्षिण भारत के इस स्वर्ण मंदिर को बनाने में लगा है कितना किलोग्राम सोना, महालक्ष्‍मी का यह दरबार

Smriti Nigam
26 May 2023 3:30 PM GMT
क्या आपको पता है कि दक्षिण भारत के इस स्वर्ण मंदिर को बनाने में लगा है कितना किलोग्राम सोना, महालक्ष्‍मी का यह दरबार
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हमारे देश में माता लक्ष्मी के कई मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे 'दक्षिण भारत का स्‍वर्ण मंदिर' कहा जाता है।

हमारे देश में माता लक्ष्मी के कई मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे 'दक्षिण भारत का स्‍वर्ण मंदिर' कहा जाता है। बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में बड़ी मात्रा में सोने का इस्तेमाल हुआ है।

भारत में ऐसे कई अद्भुत मंदिर हैं, जो किसी न किसी वजह से खास माने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु के वेल्लूर से सात किलोमीटर दूर थिरूमलाई कोडी में है, जिसे श्री लक्ष्मी नारायणी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मंदिर 1500 किलो शुद्ध सोने से बना है। इसी वजह से इसे दक्षिण भारत का 'स्वर्ण मंदिर' या 'गोल्डन टेंपल' कहते हैं।

दरअसल, जैसे ही हम लोगों के सामने स्वर्ण मंदिर का जिक्र होता है तो जेहन में अमृतसर का स्वर्ण मंदिर ही आती है। कम ही लोग जानते हैं कि एक और स्वर्ण मंदिर है, जो तमिलनाडु के वेल्लोर में मलाईकोड़ी की पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर में मां लक्ष्मी विराजमान है।

बताया जाता है इस मंदिर के निर्माण में 15 हजार किलो सोना का इस्तेमाल किया गया है। यहां पर हर दिन सुबह में 4 बजे से 8 बजे तक विशेष पूजा किया जाता है और उसके बाद दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जाता है। यह मंदिर रात के आठ बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है।

यह मंदिर 100 एकड़ में फैला हुआ है। बताया जाता है कि यह मंदिर दशकों पहले बनाया गया है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अस्था का केन्द्र है। सोने की चमक के कारण रात के समय यह मंदिर देखने में बहुत खूबसूरत नजर आता है।

बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।वैसे तो दिन के समय भी सूरज की रोशनी में यह मंदिर खूब चमकता रहता है, लेकिन खासकर रात के समय जब मंदिर में प्रकाश किया जाता है तो इसमें लगे सोने की चमक देखते ही बनती है। 24 अगस्त 2007 को पहली बार इस मंदिर को दर्शन के लिए खोला गया था।

अगर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का बात किया जाए तो यहां पर केवल 750 किलो स्वर्ण की छतरी बनी हुई है। जबकि तमिलनाडु के वेल्लोर में स्थि महालक्ष्मी के इस मंदिर में 15 हजार किलो सोना लगाया गया है।

इस स्वर्ण मंदिर का निर्माण वेल्लोर स्थित धर्मार्थ ट्रस्ट श्री नारायणी पीडम द्वारा कराया गया है, जिसके प्रमुख आध्यात्मिक नेता श्री सक्ति अम्मा को 'नारायणी अम्मा' के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पास ही श्री नारायणी अस्पताल और अनुसंधान केंद्र भी है, जिसे 'श्री नारायणी पीडम' चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ही चलाया जाता है।

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