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नमस्ते या नमस्कार का प्रयोग कैसे करें और कब करें!

नमस्ते या नमस्कार का प्रयोग कैसे करें और कब करें!
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मुख्यतः हिन्दुओं और भारतीयों द्वारा एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन और विनम्रता प्रदर्शित करने हेतु प्रयुक्त शब्द है।

इस भाव का अर्थ है कि सभी मनुष्यों के हृदय में एक दैवीय चेतना और प्रकाश है जो अनाहत चक्र (Heart Chakra) में स्थित है।

यह शब्द संस्कृत के नमस शब्द से निकला है। इस भावमुद्रा का अर्थ है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना।

दैनन्दिन जीवन में नमस्ते शब्द का प्रयोग किसी से मिलने हैं या विदा लेते समय शुभकामनाएं प्रदर्शित करने या अभिवादन करने हेतु किया जाता है।

नमस्ते के अतिरिक्त नमस्कार और प्रणाम शब्द का प्रयोग करते हैं।

संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से इसकी उत्पत्ति इस प्रकार है- नमस्ते= नमः+ते। अर्थात् आपके लिए प्रणाम।

संस्कृत में प्रणाम या आदर के लिए 'नमः' अव्यय प्रयुक्त होता है, जैसे- "सूर्याय नमः" (सूर्य के लिए प्रणाम है)। इसी प्रकार यहाँ- "तुम्हारे लिए प्रणाम है", के लिए युष्मद् (तुम) की चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।

वैसे "तुम्हारे लिए" के लिए संस्कृत का सामान्य प्रयोग "तुभ्यं" है, परन्तु उसी का वैकल्पिक, संक्षिप्त रूप "ते" भी बहुत प्रयुक्त होता है,

यहाँ वही प्रयुक्त हुआ है। अतः नमस्ते का शाब्दिक अर्थ है- तुम्हारे लिए प्रणाम। अपने से श्रेष्ठ (बड़ों) के लिए प्रकृष्ट नमन - प्रणाम है।

इसे "तुमको प्रणाम" या "तुम्हें प्रणाम" भी कहा जा सकता है। परन्तु इसका संस्कृत रूप हमेशा "तुम्हारे लिए नमः" ही रहता है, क्योंकि नमः अव्यय के साथ हमेशा चतुर्थी विभक्ति आती है, ऐसा नियम है।

नमस्ते करने के लिए,

दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है। इसके अलावा

पहले अपने मन को एक गहरी सांस के साथ शांत करें।

सांस छोड़ते या सांस छोड़ते हुए हथेलियों को चेस्ट के सामने लाएं।

हथेलियों को थोड़ा दबाएं। आपकी उंगलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए और अंगूठे को छाती से स्पर्श करना चाहिए।

कमर से थोड़ा झुकें और उसी समय गर्दन को थोड़ा झुकाएँ।

और फिर नमस्ते उच्चारण करें।

सिर झुकाकर और हाथों को हृदय के पास लाकर भी नमस्ते किया जाता है। यह विधि गहरे आदर का सूचक है।

नमस्ते शब्द अब विश्वव्यापी हो गया है।

विश्व के अधिकांश स्थानों पर इसका अर्थ और तात्पर्य समझा जाता है और प्रयोग भी करते हैं। फैशन के तौर पर भी कई जगह नमस्ते बोलने का रिवाज है। यद्यपि पश्चिम में "नमस्ते" भावमुद्रा के संयोजन में बोला जाता है।लेकिन भारत में ये माना जाता है कि भावमुद्रा का अर्थ नमस्ते ही है और इसलिए, इस शब्द का बोलना इतना आवश्यक नहीं; इस कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसके स्टिकर का प्रयोग भी खूब किया जाने लगा है

Shiv Kumar Mishra
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