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आप हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा का सपना देख रहे हैं तो बाकी पढ़ाई के साथ साथ कम से कम इस सुझाव को तत्काल प्रभाव से गाँठ बाँध लीजिए.

Shiv Kumar Mishra
1 April 2022 4:07 AM GMT
आप हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा का सपना देख रहे हैं तो बाकी पढ़ाई के साथ साथ कम से कम इस सुझाव को तत्काल प्रभाव से गाँठ बाँध लीजिए.
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हिंदी मीडियम से सिविल सर्विस की तैयारी कैसे करें


Astha Nanda Pathak

कम से कम, UPSC के प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के प्रश्न पत्र को अंग्रेजी में समझने की क्षमता विकसित कर लीजिए, थोड़ी और मेहनत से...अगर आप विशुद्ध हिन्दी माध्यम के आग्रही हैं और पूछे गए प्रश्नों को अंग्रेजी में नही पढ़ रहे हैं, समझ रहे हैं, तो पूरी संभावना है कि 'क्या पूछा जा रहा है' वही नहीं समझ पाएंगे...तो उत्तर क्या लिख पाएँगे...

प्रश्नों के हिन्दी अनुवाद की महिमा को तो आप जानते ही होंगे। 'steel plant' के सवाल का उत्तर 'लोहे का पौधा' समझकर दे आएँगे। आयोग के अनुवाद वाली एक अलग हिन्दी होती है, या पता नहीं वह हिन्दी होती भी है या नहीं...

...मैंने जब CSAT का पेपर दिया था तो लॉजिकल रीजनिंग के एक सवाल में कुछ अंको को क्रमवार सजाना था...हिन्दी मे लिखा था कि इन्हें 'आरोही' क्रम में सजाइये..मैं उनको आरोही क्रम में सजाने लगा था कि अचानक अपनी आदत के अनुसार जब उसी प्रश्न को अंग्रेजी में पढ़ा, तो लिखा था कि descending order(अवरोही क्रम) में सजाइए....अंग्रेजी के descending शब्द का हिन्दी मे आरोही अनुवाद किया हुआ था !!

अब सोचिए कि अगर मैंने सिर्फ हिन्दी अनुवाद पढ़कर जवाब दिया होता तो सब जानते हुए भी गलत जवाब देता और नेगेटिव मार्किंग का नुकसान झेलता.... हर साल कितने हिन्दी माध्यम वाले इस गलती के कारण शहीद होते होंगे इसका आप अनुमान लगाइए।

....और सनद रहे! प्रश्नपत्र के पीछे मोटे अक्षरों में लिखा होता है कि प्रश्नों के अंग्रेजी और हिन्दी अनुवाद में अन्तर होने पर, विवाद की स्थिति में अंग्रेजी अनुवाद को ही सही माना जायेगा...लो कर लो बात!

तो आपको यह मान लेना होगा कि अगर इस वर्तमान विसंगति वाली व्यवस्था में आपको सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करनी है तो बेसिक अंग्रेजी समझने को भी अपने सिलेबस का ही अनिवार्य हिस्सा मान लीजिए... और उस पर भी थोड़ी मेहनत कीजिए...

समय लगेगा लेकिन असम्भव नही है। प्रतिदिन बिना कुछ सोचे समझे किसी एक अंग्रेजी अखबार के संपादकीय पेज का एक छोटा सा आर्टिकल पढ़ना शुरू कर दीजिए, समझ मे आये या न आये, आप बस बाँचते रहिए, उसका मूल भाव समझने की कोशिश करते रहिए। 6 महीने नियमित रूप से करने के बाद आपको कब अंग्रेजी समझ मे आने लगी, खुद ही पता नही चलेगा...

कोचिंग के अध्यापक अगर अपनी क्लास में नियमित रूप से यह अभ्यास करवाते तो कितना अच्छा होता। रोज एक छोटा सा आर्टिकल अंग्रेजी में पढ़वाने का अभ्यास...लेकिन वहाँ तो हिन्दू अखबार के आर्टिकल का हिन्दी अनुवाद बाँट दिया जाता है....😥 और उनका किया हुआ अनुवाद upsc वाले अनुवाद से भी ज्यादा भैंकर होता है...

मुझे तो सिविल सेवा की तैयारी की शुरुआत में nown, pronoun verb adjective की रटी हुई परिभाषा से आगे अंग्रेजी में कुछ न आता था, लेकिन जब कठोर सत्य से सामना हुआ तो नियमित रूप से एक आर्टिकल अंग्रेजी का बाँचने लगे। अंग्रेजी माध्यम का बनने के लिए नहीं वरन पूछे गए प्रश्नों को ठीक से समझ पाने के लिए...

गुरहिया पकड़ी गाँव के पढ़े हुए होकर जब इतने बड़े सपने के लिए ताल ठोंककर दिल्ली प्रयागराज तक लड़ने पहुँच ही गए तो थोड़ी सी और लड़ाई लड़ लेने में क्यों कंजूसी। इस चुनौती को भी अपने सिलेबस का हिस्सा मान के लड़िए...कठोर सच का सामना कीजिए

मैं कर पाया तो कोई भी कर लेगा...

(किसी ने ध्यान दिलाया कि नाउन की स्पेलिंग भी गलत लिख दी मैंने, यही तो है भोजपुरी माध्यम वालों की व्यथा😥)

लेखक भारतीय प्रसाशनिक सेवा के अधिकारी है

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