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भोपाल गैस त्रासदी की 33वीं बरसी आज, लोगों ने कफन ओढ़कर प्रदर्शन

Ekta singh
3 Dec 2017 4:15 PM IST
भोपाल गैस त्रासदी की 33वीं बरसी आज, लोगों ने कफन ओढ़कर प्रदर्शन
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जहां भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग सुबह छह बजे राजभवन के सामने पहुंचे और सड़क पर सफेद कपड़ा (कफन) लेकर लेट गए.

भोपाल: भोपाल गैस हादसे की आज 33वीं बरसी हैं. 3 दिसंबर,1984 की आधी रात को हुए भोपाल गैस हादसा पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना है. जब यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थीं.

रविवार की सुबह 33वीं बरसी पर कुछ लोगों ने कफन ओढ़कर राजभवन के सामने प्रदर्शन किया. जहां भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग सुबह छह बजे राजभवन के सामने पहुंचे और सड़क पर सफेद कपड़ा (कफन) लेकर लेट गए.



वे रविवार को एक संगठन द्वारा आयोजित 'रन फॉर रन' का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि एक तरफ आधा भोपाल मातम मना रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्सव मनाया जा रहा है.

गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि 3 दिसंबर का दिन भोपाल के लिए मातम का दिन है ऐसे में इस दिन को जश्न के रूप में मनाना ठीक नहीं है. वहीं दूसरी ओर आयोजकों का कहना था कि रन भोपाल रन का आयोजन जागरुकता के मकसद से किया गया था जिसमें लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करने के साथ ही गैस कांड के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई.

वहीं,मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल गैस कांड की 33वीं बरसी के दौरान आयोजित सर्व धर्म प्रार्थना सभा के दौरान ऐलान किया है कि गैस कांड के दौरान विधवा हुई महिलाओं की पेंशन बंद नहीं होगी.


दरअसल, पहले इस पेंशन की अवधि 5 साल रखी गई थी. राजधानी भोपाल की सेंट्रल लाइब्रेरी में आयोजित सर्व धर्म प्रार्थना सभा में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि गैस त्रासदी एक ऐसी त्रासदी थी जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

हालांकि इस दौरान यूनियन कार्बाइड में कचरे का निष्पादन कब तक हो सकेगा इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश होगा उसे माना जाएगा.

भोपाल गैस घटना...

यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी में टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के पानी से मिल जाने के कारण करीब 40 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था.

गैस रिसाव के कारण कारखाने के पास स्थित झुग्गी बस्ती सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुए थे. ये वो लोग थे जो रोजी-रोटी की तलाश में दूर-दूर के गांवों से आ कर वहां रह रहे थे. इस रिसाव ने महज तीन मिनट में हजारों लोग न केवल मौत की नींद सो गए बल्कि लाखों लोग हमेशा-हमेशा के लिए विकलांग हो गए, जो आज भी इंसाफ के इंतजार में है.



इस हादसे से अब तक भोपाल शहर उबर नहीं पाया है. हादसे के दिन सैकड़ों लोगों का सामूहिक अंतिम संस्‍कार किया गया था. हजारों लोगों की मौत हो गई थी और यह दौर अब भी जारी है. आज भी इस हादसे की शिकार लोगों की नई पीढ़ी दुष्परिणामों को भोग रही है.


यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस से तीन हजार से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ दिया था और पांच लाख से ज्यादा लोग बीमार पड़ गए थे. इस दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

बता दें, गैस का साइड इफेक्ट इतना अधिक था कि आज भी जन्म लेने वाले बच्चों को कोई ना कोई बीमारी जरूर होती है.

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