भोपाल

सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बड़ा झटका, कोर्ट ने की याचिका खारिज

Special Coverage News
20 Jun 2019 5:25 PM IST
सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बड़ा झटका, कोर्ट ने की याचिका खारिज
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मुंबई. यहां विशेष एनआईए कोर्ट में मालेगांव धमाका मामले की सुनवाई के दौरान पेशी से स्थायी छूट के लिए दी गई सांसद प्रज्ञा ठाकुर की अर्जी को खारिज कर दिया। प्रज्ञा ठाकुर ने संसदीय प्रक्रियाओं और बीमारी का हवाला देते हुए अदालत में उपस्थित नहीं होने की बात कही थी। हालांकि, कोर्ट ने संसद में होने के कारण गुरुवार को उन्हें पेशी में शामिल नहीं होने की छूट दे दी।

प्रज्ञा ठाकुर ने छूट के लिए आवेदन देते हुए कहा था कि वह सांसद हैं और उन्हें दिन-प्रतिदिन संसद में भाग लेना होता है। ब्लास्ट केस की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ने 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर भोपाल सीट से लड़ा और इस सीट पर उन्होंने मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को हराया।

3 जून को मुंबई की एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा को हर हफ्ते कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। प्रज्ञा ने बीमारी और संसद में औपचारिकताएं पूरी करने का हवाला देकर पेशी से छूट दिए जाने की गुजारिश की थी, लेकिन विशेष अदालत ने इससे इनकार कर दिया था।

जज के सवालों पर प्रज्ञा ने दिया था जवाब-

इससे पहले प्रज्ञा ठाकुर 7 जून को एनआईए कोर्ट में पेश हुईं थी। इस दौरान जज ने उनसे दो सवाल पूछे। जिसका उन्होंने, 'मुझे नहीं पता' कहकर जवाब दिया। प्रज्ञा से विशेष एनआईए कोर्ट के जज ने पूछा, "क्या आप जानती हैं या आपके वकील ने आपको इस बारे में बताया है कि अभियोजन पक्ष ने अब तक कितने गवाहों की जांच की है?" इस पर प्रज्ञा ने कहा," मुझे नहीं पता।"

जज ने दूसरा सवाल पूछा, "अब तक जांच में गवाहों ने कहा है कि 29 सितंबर 2008 को एक धमाका हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। आपका क्या कहना है?" इस पर भी प्रज्ञा ने जवाब दिया, "मुझे नहीं पता।"

मालेगांव धमाके में 7 लोग मारे गए थे

29 सितंबर 2008 में मालेगांव धमाके में 7 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। सरकार ने मामले की जांच एटीएस को सौंपी थी। 24 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था। 3 आरोपी फरार दिखाए गए थे। बाद में यह जांच एनआईए को सौंप दी गई थी। अप्रैल 2017 में साध्वी प्रज्ञा को 9 साल कैद में रहने के बाद सशर्त जमानत दी गई थी।

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