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निशा बांगरे के महात्मा बुद्ध का सवाल उठाए जाने के बाद आदिवासियों के साथ दलित वर्ग में भी भाजपा के लिए मुश्किलें हुई खड़ी
डिप्टी कलेक्टर से इस्तीफा देने पर मजबूर हुई निशा बांगरे ने MP की BJP सरकार को तानाशाह बताया है।आदिवासी समाज से आने वाली निशा को सर्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी। इससे आहत उन्होंने नौकरी छोड़ दी। मगर उनका आरोप है कि अभी भी उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
इसका क्या होगा असर मध्यप्रदेश में असर
आदिवासी देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में रहते हैं।इनकी आबादी 22 प्रतिशत है। यहां की राजनीति में आदिवासी निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। पिछली बार 2018 में आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीटों से 30 पर कांग्रेस जीती थी और उसकी सरकार बन गई थी। आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है।
सबसे बुद्ध के साथ जुड़ी उनकी धार्मिक आस्थाओं की वजह से उन्हें प्रताड़ित किया गया। बुद्ध का नाम आते ही मध्यप्रदेश में आदिवासियों के साथ दलितों में भी एक नई हलचल शूरु हो गई है। MP में दलित आबादी भी बहुत बड़ी है लगभग 16 प्रतिशत। 35 सीटें इनके लिए आरक्षित हैं। इनमें से अधिकांश बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं।
निशा बांगरे के महात्मा बुद्ध का सवाल उठाए जाने के बाद आदिवासियों के साथ दलित वर्ग में भी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। निशा खुद भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। आदिवासी और दलित का इस समय चुनाव से पहले नाराज होना BJP के लिए समस्या बन सकता है।