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आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज का दावा एम पी में झूठा साबित मरीज से तीन लाख जमा करने को कहा
संजय रोकड़े
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की बातों को अब कोई भी गंभीरता से नही लेता है। कहे कि अब सूबे के निजाम का इक़बाल खत्म हो चला है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी।
हाल ही में सामने आयी राजधानी भोपाल में अस्पताल संचालकों की मनमानी तो यही साबित करती है। इन दिनों सोशल मीडिया पर भोपाल के चिरायु अस्पताल द्वारा मरीजों के परिजनों से मनमानी राशि वसूलने का एक वीडियो वायरल हो रहा है।
इस वीडियो में आयुष्मान कार्ड को लेकर अस्पताल के मैनेजर गौरव बजाज और मरीजों के परिजनों के बीच विवाद साफतौर पर दिखाई दे रहा है। मरीजों के परिजनों का कहना है कि चिरायु अस्पताल प्रबंधन द्वारा फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है।
मालूम हो कि 19 अप्रैल को डीआईजी बंगला निवासी योगेश बलवानी की मां रुकमणी बलवानी कोरोना पॉजिटिव हो गई। इलाज के लिए उन्हें चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड था।
इसके बाद भी चिरायु अस्पताल वालों ने उनसे इलाज के नाम पर 3 लाख रुपये जमा करा लिए। आयुष्मान भारत योजना केंद्र की मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। सभी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड दिखाने पर इलाज मुफ्त करना होता है लेकिन चिरायु अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने से इंकार कर दिया।
कारण पूछे जाने पर अस्पताल के प्रबंधक ने सीधे अस्पताल से बाहर फेंकने का आदेश कर्मचारियों को दे दिया। वहीं चिरायु अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि हम आयुष्मान कार्ड स्वीकार नहीं करेंगे।
आपको जिससे शिकायत करना हो जाकर कर दो और यह कहकर अस्पताल के प्रबंधक ने उनके परिजनों को अस्पताल से बाहर करा दिया। इसके बाद इलाज के दौरान रुकमणी बलवानी की मृत्यु हो गई। इसके बाद भी चिरायु अस्पताल वालों ने 3 लाख रुपये और जमा करवाने का दबाव बनवाना शुरु कर दिया।
अस्पताल ने साफतौर पर मरीज के परिजनों को कह दिया कि जब तक आप लोग 3 लाख रुपये और जमा नहीं करोगे, हम न तो डेथ सर्टिफिकेट देंगे और नहीं डिसचार्ज पेपर।
आप लोगों को जिसके पास शिकायत करना हो करो, जिसके पास जाना हो जाओ…
ये बयान है चिरायु अस्पताल प्रबंधन का।
ये सूरत ए हाल है भाजपा शासित मध्यप्रदेश का। दरअसल मध्यप्रदेश में पिछले डेढ़ दशकों में सरकार का कम माफियाओं का राज ज्यादा चलता है। फिर चाहे वो मेडिकल माफिया हो या जमीन माफिया या फिर रेत माफिया। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि सरकार माफियाओं के सामने शरणागत है।
मध्यप्रदेश के लोगों का मानना है कि माफियाओं के पैसे से ही मध्यप्रदेश में सरकार बनती भी है और बीच में गिर भी जाती है। माफिया राज को समाप्त करने के लिए पूर्व सीएम कमलनाथ ने जैसे ही कड़े एक्शन लेने शुरु किए, सरकार ही गिर गयी। अब ये सरकार समझ रही है कि मिल जुल कर ही राज किया जा सकता है, सो इसीलिए ये आलम है।